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डॉ. भीमराव अंबेडकर का दर्शन/डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचार / निबंध - डॉ. भीमराव अंबेडकर -MPPSC,UPSC

डॉ. भीमराव अंबेडकर का दर्शन/ विचार / निबंध   MPPSC,UPSC  

एथिक्स एवं निबंध  दोनों  पेपर हेतु महत्वपूर्ण  जानकारी 



डॉ. भीमराव अंबेडकर के  प्रमुख विचार


डॉ. भीमराव अंबेडकर के  प्रमुख विचार:-

1. जाति व्यवस्था संबंधित विचार
2. राजनीतिक विचार
3. आर्थिक विचार
4.दार्शनिक विचार


1. डॉ. भीमराव अंबेडकर के जाति व्यवस्था संबंधित विचार:-

  अंबेडकर के अनुसार जाति व्यवस्था भारतीय समाज पर कलंक है जो भेदभाव और संघर्ष को उत्पन्न करती हैं अंबेडकर के अनुसार दलितों के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक शोषण का प्रमुख कारण जाति व्यवस्था ही  है।
               अंबेडकर के अनुसार समाज के प्रारंभ में जाति व्यवस्था का अभाव था परंतु कुछ लोगों के द्वारा अपनी शारीरिक व आर्थिक शक्ति के आधार पर समाज के वर्ग को शिक्षा, धर्म, राजनीति अधिकारों से वंचित रखा और इस व्यवस्था को स्थायित्व व अपने अनुकूल बनाए रखने के लिए जाति व्यवस्था को जन्म दिया।
              अंबेडकर के अनुसार जाति व्यवस्था की उत्पत्ति किसी भी रूप में हुई हो परंतु व्यवहार में यह अन्याय पूर्ण व्यवस्था है जिसको समाप्त करना बहुत आवश्यक है । अंबेडकर के अनुसार जाति व्यवस्था के चलते समाज में वर्ग विशेष की योग्यता का हनन  होता है जो कि समाज में तनाव को जन्म देता है इनके अनुसार जाति व्यवस्था को समाप्त करके सामाजिक अन्याय व असमानता को समाप्त किया जा सकता है। अंबेडकर वर्ण व्यवस्था का भी विरोध करते थे क्योंकि उनके अनुसार यह व्यवस्था समाज में भेदभाव और ऊंच-नीच को जन्म देती है।
डॉ. भीमराव अंबेडकर के  प्रमुख विचार


2. डॉ. भीमराव अंबेडकर के राजनीतिक विचार:

-अंबेडकर राजनीतिक रूप से लोकतंत्र के प्रबल समर्थक थे उनका मानना था कि लोकतंत्र ही समाज में समानता वादी मूल्यों की स्थापना कर सकता है तथा लोकतंत्र के माध्यम से ही निम्न वर्गीय लोगों का कल्याण किया जा सकता है ।
        अंबेडकर समानता वादी लोकतंत्र के प्रबल समर्थक थे उनका मानना था कि लोकतंत्र नहीं सभी को समान प्रतिनिधित्व प्राप्त होना चाहिए क्योंकि जब तक समान प्रतिनिधित्व प्राप्त नहीं होगा तब तक सामाजिक कल्याण व समानता वादी मूल्यों की स्थापना नहीं की जा सकती है।
        समतावादी लोकतंत्र की स्थापना हेतु अंबेडकर "  संरक्षणात्मक  भेदभाव " के समर्थक थे उनका मानना था कि सामाजिक विकास की धारा में पिछड़ चुके लोगों का समुदाय को राजनीतिक आरक्षण संरक्षण प्रदान करके उन्हें समाज के विकास की मुख्यधारा में लाया जा सकता है और जब सभी लोग लोकतंत्र में समान रूप से सहभागीता रखेंगे तब वास्तविक व आदर्श लोकतंत्र की स्थापना हो जाएगी।
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3. डॉ. भीमराव अंबेडकर के आर्थिक विचार:- 

अंबेडकर ने अपनी पुस्तक द प्रॉब्लम ऑफ रुपीस मैं अपने आर्थिक विचारों को व्यक्त किया है अंबेडकर पूंजीवाद के विरोधी थे क्योंकि उनका मानना था कि पूंजीवाद के अंतर्गत पूंजी का संकेंद्रण कुछ ही लोगों के हाथों में होता है और यह कुछ पूंजी की सहायता से मजदूर गरीबों का शोषण करते हैं और इस व्यवस्था में मजदूरों द्वारा जितना उत्पादन किया जाता है उसका वास्तविक लाभ उन्हीं पूंजीपतियों को मिल पाता है मजदूरों को नहीं मिल पाता है।
       अंबेडकर समाजवाद के समर्थक थे क्योंकि उनका मानना था कि समाजवाद एक ऐसी व्यवस्था है जो व्यक्ति की योग्यता व आवश्यकता को समान महत्व देती है और इस व्यवस्था में गरीबी व मजदूरों का शोषण नहीं होता है क्योंकि समाजवादी व्यवस्था में उत्पादन के साधनों पर समाज का समान स्वामित्व होता है। इसमें स्तरीकरण का अभाव होता है परिणाम स्वरूप स्वस्थ आर्थिक असमानता की समाप्ति होती है।
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डॉ. भीमराव अंबेडकर के  प्रमुख विचार


4. डॉ. भीमराव अंबेडकर के दार्शनिक विचार:-

 अंबेडकर के समस्त विचारों पर बुध एवं वेदांत दर्शन का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है अंबेडकर अहिंसा, सामाजिक समानता, सामाजिक न्याय, राजनीतिक समानता आदि विचारों से वेदांत और बौद्ध दर्शन की झलक मिलती है। जहां यह दोनों दर्शन मनुष्य को सत्य मानते हैं तथा किसी भी प्रकार के भेदभाव का निश्चित करते हैं उसी प्रकार अंबेडकर भी सामाजिक न्याय और सामाजिक समानता को सर्वोपरि मानते हैं।


डॉ. भीमराव अंबेडकर की  प्रमुख पुस्तकें:

- द प्रॉब्लम ऑफ रुपीस, स्टेट एंड माइनॉरिटी., WHO WERE  THE SHUDRAS 

                                                          


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