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डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध / essay on teachers day in Hindi

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डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध




डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म भारत के तमिलनाडु में 5 सितंबर 1888 को हुआ था
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मृत्यु 17 अप्रैल 1975 को हुई।

अपने जीवन काल को शिक्षा के प्रति समर्पित करने के कारण उनके जन्मदिन 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है



डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध



डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के प्रमुख विचार


1. शिक्षा संबंधी विचार
2. संस्कृति संबंधी विचार
3. धर्म संबंधी विचार
3. समानता के समर्थक
5.नव वेदांत से प्रभावित


              डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक शिक्षक थे ,तथा भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति बने ,शिक्षक के रूप में उन्होंने सर्वप्रथम दर्शन शास्त्र की शिक्षा देना प्रारंभ किया, वे  शिक्षा को सर्वाधिक महत्वपूर्ण मानते थे ,उनका मानना था कि यदि सही तरीके से शिक्षा दी जाए तो समाज की अनेक बुराइयों को मिटाया जा सकता है।


डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के शिक्षा संबंधी विचार


राधाकृष्णन ,संपूर्ण विश्व को एक शिक्षालय मानते थे ,उनकी मान्यता थी कि शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है ,इसलिए संपूर्ण विश्व को एक इकाई मानकर ही शिक्षा का प्रबंध किया जाना चाहिए वह छात्रों को प्रेरित करते थे कि वे उच्च नैतिक मूल्यों को अपनाते हुए अपने आचरण में उतारें।

               राधाकृष्णन कहा करते थे कि मात्र जानकारियां देना ही शिक्षा नहीं है ,यद्यपि जानकारियों का अपना महत्त्व होता है और आधुनिक युग में तकनीक व नवीन जानकारी का महत्व भी है ,फिर भी शिक्षा का लक्ष्य ज्ञान के प्रति समर्पण की भावना व निरंतर सीखते रहने की प्रवृत्ति ,करुणा, प्रेम व श्रेष्ठ मानवतावादी मूल्यों का विकास करना आदि होना चाहिए।

               डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन , हिंदूवादी विचारों पर लगने वाले आक्षेपो को एक चुनौती की तरह स्वीकार करते थे ,उन्होंने सभी संस्कृतियों का अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला कि भारतीय संस्कृति ही एकमात्र ऐसी संस्कृति है जिसमें लोचनशिलता व दूसरी संस्कृतियों को ग्रहण करने तथा उनके साथ घुलने मिलने के गुण पाए जाते हैं ,
भारतीय संस्कृति धर्म ज्ञान व शक्ति पर आधारित है ,जो प्राणी को जीवन को सच्चा संदेश देती है।



           राधाकृष्णन सभी धर्मों का आदर सम्मान करते थे, और सर्व धर्म समभाव के विचार से प्रभावित थे ,वह व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास हेतु धर्म को आवश्यक मानते थे ,उनका मानना था कि व्यक्ति को धर्म के द्वारा ही उच्च नैतिक मूल्यों से युक्त बनाया जा सकता है।


डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के दार्शनिक  विचार


                राधाकृष्णन के दर्शन पर वेदांत दर्शन का प्रभाव था ,अतः वे जातीय असमानता, स्त्री-पुरुष असमानता, धार्मिक असमानता आदि के विरोधी थे, उन्होंने राजनीति में नैतिकता को भी अनिवार्य माना है ।

       डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन अद्वैत वेदांत से प्रभावित थे ,किंतु इन्हें नव वेदांती की श्रेणी में रखा जाता है, क्योंकि राधाकृष्णन इस जगत को मिथ्या न मानकर वास्तविक मानते थे और उनका मानना था कि इस ईश्वर तक पहुंचने की अलग-अलग धर्मों में अलग-अलग मार्ग की व्याख्या की गई है। मनुष्य को सत्यता के साथ उन मार्गों का अनुसरण करने से परम तत्व की प्राप्ति होती है।



 इन्हे भी पढ़े - महान विचारक ,समाज सुधारक, दार्शनिक   


 

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