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रवींद्र नाथ टैगोर की जीवनी
रवींद्र नाथ टैगोर का जन्म
जन्म मई 1861
मृत्यु अगस्त 1941
माता शारदा देवी
पिता देवेंद्र नाथ टैगोर
रवींद्र नाथ टैगोर की प्रमुख रचनाएं:-
रवींद्र नाथ टैगोर को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है वह विश्व विख्यात, कवि, साहित्यकार, दार्शनिक व भारतीय साहित्य के एकमात्र नोबेल पुरस्कार विजेता है।
** 1901 में सियालदह में शांति निकेतन की स्थापना की थी।
रवींद्र नाथ टैगोर के प्रमुख विचार
➥1. सामाजिक विचार
➥2. मानवीय विचार.
रवींद्र नाथ टैगोर के सामाजिक विचार
1. मूर्त एकात्मबाद का समर्थन
2. मानव की स्वतंत्रता सर्वोपरि व्याख्या
3. परंपरागत शिक्षा पद्धति का विरोध
4. आधुनिक शिक्षा पद्धति का समर्थन
5. जाति व्यवस्था का विरोध
6.स्वतंत्रता ही श्रजन का आधार है और श्रजन ही संस्कृति और सभ्यता को आगे बढ़ाता है
7. ईश्वर के स्थान पर मनुष्य की प्रतिष्ठा होनी चाहिए मानव ईश्वर की वीणा का स्वर तंतु है
8.मानव साध्य है।
रवींद्र नाथ टैगोर के दार्शनिक विचार
( रवींद्र नाथ टैगोर का मूर्त एकत्मवाद)
टैगोर का विश्व दृष्टिकोण सब कुछ को एक मानने के कारण एक तत्ववादी मूर्त एकात्म वादी हो जाता है अर्थात वे संपूर्ण विश्व को एक इकाई मानते हैं और किसी में भी किसी प्रकार का भेदभाव स्वीकार नहीं करते हैं।
टैगोर के दर्शन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे मनुष्य को ही सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ पुराण मानते ही टैगोर सबसे बड़ा सत्य मनुष्य को मानते हैं। रविंद्र नाथ टैगोर भारत की प्रगति के लिए संन्यास वादी परंपरा को तोड़ना चाहते थे टैगोर एक ऐसे क्रिया वादिया व्यवस्था के समर्थक थे जो छोड़ने त्यागने पर नहीं बल्कि समाज में रहकर कार्य करती हो।
* * गांधी जी के विचारों से तुलना**
1. टैगोर आधुनिकतावाद के समर्थक थे वही गांधीजी परंपरागत मूल्यों के समर्थक थे
2. टैगोर आधुनिक यंत्री प्रणालियों को महत्व देते थे वही गांधीजी परंपरागत प्रणालियों वह पद्धतियों को महत्व देते थे
3. टैगोर मानवता को राष्ट्रीयता से ज्यादा महत्वपूर्ण मानते थे वही गांधीजी राष्ट्रीयता को मानवता से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं मानते थे
4. टैगोर जाति व्यवस्था /वर्ण व्यवस्था के विरोधी थे वही गांधीजी जाती/ वर्ण व्यवस्था के समर्थक थे।
दार्शनिक / विचारक /सामाजिक कार्यकर्ता /समाज सुधारक - MPPSC ETHICS PAPER-4
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रवींद्र नाथ टैगोर की जीवनी के प्रमुख विचार