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शेरशाह सूरी से संबंधित प्रश्न उत्तर

शेरशाह सूरी की कहानी 
सूरीशेरशाह सूरी का जन्म,
सुर साम्राज्य का संस्थापक शेरशाह ,
शेरशाह सूरी द्वारा बनाई गई इमारतें एवं प्रमुख कार्य।
शेरशाह सूरी के शासन काल से संबंधित सामान्य ज्ञान प्रश्न उत्तर।

शेरशाह सूरी की कहानी

शेरशाह सूरी से संबंधित सामान्य ज्ञान प्रश्न उत्तर


 शेरशाह सूरी का जन्म 



शेरशाह सूरी के जन्म के बारे में  अभी भी इतिहासकारों में मत भिन्नता है ,प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ के.आर. कानूनगो का मत है कि शेरशाह सूरी का जन्म हरियाणा के नारनौल में हुआ था ,तथा उनके अनुसार शेरशाह का जन्म वर्ष 1486 है ,वही दूसरे प्रसिद्ध इतिहासकार, परमात्मा शरण का विचार है कि शेर शाह का जन्म वर्ष 1472 ईसवी है।

शेरशाह के बचपन का नाम फरीद खाँ था ,और फरीद खाँ सूर वंश से संबंधित था । 
शेरशाह सूरी के पिता हसन खाँ थे जो कि जौनपुर राज्य के अंतर्गत एक छोटी सी रियासत थी जिसका नाम सासाराम था वहां वह जमीदार थे।

फरीद खाँ, बचपन से ही बहुत बहादुर प्रवृत्ति का बालक था ,फरीद खाँ ने बचपन में एक शेर को अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए तलवार के एक ही वार से मार गिराया ,उसकी इस अद्भुत बहादुरी से प्रसन्न होकर उस समय अफगान शासक जिनका नाम मोहम्मद बहार खां लोहानी  था, उन्होंने फरीद खाँ को -शेर खाँ की उपाधि प्रदान की ।अर्थात जो शेर को एक ही वार से मार गिराए वह शेर खाँ कहलाया ।

अब फरीद खाँ को सभी लोग शेर खाँ के नाम से जानने लगे।

कुछ समय पश्चात इसी  शेर खाँ  ने, 17 मई 1540 को बिलग्राम जिसे कन्नौज का युद्ध भी कहा जाता है उस युद्ध में मुगल सम्राट हुमायूं को पराजित किया तथा दिल्ली पर सुर साम्राज्य की नींव डाली और तभी से शेर खाँ, शेर शाह सूरी कहलाने लगे। 



शेरशाह सूरी ने अपने शासनकाल में कई महत्वपूर्ण कार्य किए जिनमें से कुछ निम्नलिखित है।


आज जो हम डाक विभाग की विभिन्न सेवाओं का प्रयोग करते हैं जिससे कोरियर सेवा ,पत्र तथा अन्य प्रकार के उपयोग , इस डाक प्रथा की शुरुआत शेरशाह सूरी ने ही करवाई थी,


 साथ ही साथ शेरशाह सूरी ने विशाल ग्रैंड ट्रंक रोड का निर्माण भी करवाया जैसी उस समय सड़क ए  आज़म  कहते थे ,यह ग्रांड ट्रंक रोड आज भी सरकार के द्वारा संरक्षित अवस्था में है,


 शेरशाह द्वारा बनाया गया यह ग्रांड ट्रंक रोड उस समय कोलकाता से लगाकर की पेशावर  तक विस्तृत था।


शेरशाह सूरी की राजस्व व्यवस्था   


शेरशाह सूरी ने अपने शासनकाल में राजस्व से संबंधित भी अनेक  सुधारात्मक कार्य किए 
जिनमें भूमि की  नपती करना तथा लगान का निर्धारण करना प्रमुख था।
शेरशाह सूरी ने भूमि की नपती अर्थात माफ के लिए गजे सिकंदरी नामक इकाई का प्रयोग किया जिसे सिकंदरी गज भी कहा जाता था इसमें 32 अंक वाले विशेष यंत्र का प्रयोग किया जाता था तथा साथ ही साथ सन की डंडी का भी प्रयोग भूमि की नपती करने के लिए किया जाता था।

शेरशाह सूरी के द्वारा ही भूमि के उपयोग के संबंध में कबूलियत तथा तथा पट्टा प्रथा की शुरुआत करवाई।

भूमि पर उपज का लगभग एक तिहाई हिस्सा उस समय लगान के रूप में किसानों को सम्राट को अदा करना होता था।

शेरशाह सूरी ने बाजार व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए चांदी के रुपया तथा दाम का प्रयोग प्रारंभ करवाया ,दाम तांबे के बने हुए होते थे जबकि रुपया चांदी का बना हुआ होता था।।


शेरशाह सूरी के द्वारा बनाई गई प्रमुख इमारतें निम्न है

 शेरशाह सूरी ने अपने शासनकाल में निम्नलिखित प्रमुख इमारतों का निर्माण करवाया 
रोहतासगढ़ का किला
रोहतासगढ़ का किला
किला ए कुहना यह किला दिल्ली में स्थित है।
शेरशाह सूरी ने कन्नौज के निकट शेरसूर नामक नगर भी बसाया था।


शेरशाह ने वर्ष 1545 ईसवी में कालिंजर के किले को जीतने के लिए उस पर आक्रमण किया ,उस समय कालिंजर के किले पर कीरत सिंह नामक व्यक्ति का शासन था, जब इस किले को जीतने के क्रम में युद्ध चल रहा था, और शेरशाह उक्का नाम का एक  आग्नेयास्त्र चला रहा था ,दुर्घटना से वह अग्नियास्त्र शेरशाह सूरी के ऊपर ही चल गया, और 22 मई 1545 ईसवी को शेरशाह सूरी की मृत्यु हो गई।

शेरशाह सूरी का मकबरा सासाराम में बनाया गया है यह मकबरा सासाराम में एक झील के मध्य मुझे टीले पर निर्मित है।

शेरशाह की मृत्यु के बाद उसका पुत्र इस्लाम शाह सुर साम्राज्य का संस्थापक बना तथा इस्लाम शाह के बाद सिकंदर सूरी शासक बना ,
सिकंदर सूरी को वर्ष 1955 में सरहिंद के युद्ध में हुमायूं ने पुनः परास्त किया तथा फिर से मुगल साम्राज्य की स्थापना दिल्ली पर हो पाई तथा इसी के साथ सुर साम्राज्य का हमेशा के लिए अंत हो गया 


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