SAARC member nation /countries
सार्क (दक्षेस) के सदस्य देश
सार्क की स्थापना
सार्क का मुख्यालय
सार्क के उद्देश्य
important global/international and regional organization in Hindi ,
प्रमुख वैश्विक/अंतर्राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय संगठन ,
सार्क/ दक्षेस /SAARC in Hindi
सार्क / दक्षेस /SAARC-upsc,mppsc
सार्क/ दक्षेस /SAARC पूरी जानकारी
SAARC full form /सार्क का पूरा नाम
सार्क जिसे दक्षेश के नाम से भी जाना जाता है ,दक्षिण एशियाई 8 राष्ट्रों का एक गैर सैनिक संगठन है ,
सार्क की स्थापना - 8 दिसंबर 1985 में की गई थी ,
सार्क का मुख्यालय काठमांडू नेपाल में स्थित है
सार्क के महासचिव -अमजद हुसैन बी. सियाल है जोकि पाकिस्तान से हैं
सार्क के पहले महासचिव बांग्लादेश के अब्दुल एहसान थे,
भारत के कांत किशोर भार्गव तथा शील कांत शर्मा भी दक्षेस के महासचिव रह चुके हैं ,कांत किशोर भार्गव दूसरे महासचिव रहे जबकि श्रीकांत शर्मा सार्क के नौवें महासचिव थे।
Full form of SAARC-South Asian Association for Regional Cooperation
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ
SAARC member nation /countries सार्क (दक्षेस) के सदस्य देश
सार्क के सदस्य देश निम्नलिखित है
भारत
पाकिस्तान
बांग्लादेश
नेपाल
भूटान
श्रीलंका
मालदीव एवं
अफगानिस्तान
अर्थात वर्तमान में सार्क के सदस्य देशों की संख्या 8 है,
सार्क की स्थापना के समय इसकी सदस्य देशों की संख्या 7 थी
अफगानिस्तान को बाद में इस संगठन में सम्मिलित किया गया
SAARC ke Shikhar Sammelan
सार्क का प्रथम शिखर सम्मेलन 1985 में बांग्लादेश की राजधानी ढाका में संपन्न हुआ था।
तथा अभी तक कुल 18 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा चुका है,
19 वां शिखर सम्मेलन जो कि पाकिस्तान में आयोजित होना था वह नहीं हो सका है ।
साथ ही 20 वां शिखर सम्मेलन का निर्धारित होना अभी शेष है।
सार्क के पर्यवेक्षक राष्ट्र
वर्तमान समय में सार्क के 8 सदस्य देशों के अलावा 8 देशों को पर्यवेक्षक राष्ट्र का दर्जा प्रदान किया गया है
यह पर्यवेक्षक राष्ट्र -
अमेरिका
चीन
जापान
दक्षिण कोरिया।
म्यांमार
ईरान
यूरोपियन यूनियन
मॉरीशस
सार्क के प्रमुख उद्देश्य
Objective of SAARC
सार्क के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित है
- दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ /सार्क के प्रमुख उद्देश्य
- परस्पर आर्थिक एवं सांस्कृतिक सहयोग का विकास करना
- दक्षिण एशियाई क्षेत्र में वैज्ञानिक एवं तकनीकी के आदान-प्रदान के कार्य को सुगम बनाना
- परस्पर सांस्कृतिक संपर्कों को बढ़ावा देना
- शैक्षणिक कार्यों तथा वैज्ञानिक खोजों को बढ़ावा देना
- पर्यावरण की दिशा में तकनीकी सहयोग प्रदान करना
- क्षेत्रीय सांस्कृतिक महत्व को बढ़ावा देना आदि।