प्रतिस्पर्धा आयोग के अध्यक्ष,सदस्य संख्या,संरचना, कार्य एवं शक्तियाँ
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग अर्थात कॉम्पिटशन कमीशन ऑफ इंडिया जिसे संक्षिप्त रूप में सीआईआई(CII) भी कहा जाता है ,इससे संबंधित प्रश्न विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर पूछे जाते हैं,इन प्रश्नों की प्रवृत्ति में राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा आयोग के अध्यक्ष उनके कार्य आयोग के गठन से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं इस लेख में राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा आयोग से संबंधित परीक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण तथ्यों को सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है,
किसी भी अर्थव्यवस्था में बेहतर प्रतिस्पर्धा का अर्थ है आम आदमी तक किसी गुणात्मक वस्तु या सेवा की बेहतर कीमत पर उपलब्धता को सुनिश्चित करना।
प्रतिस्पर्धा के इसी व्यापक अर्थ को आत्मसात करते हुए वर्ष 2002 में संसद द्वारा प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2002 पारित किया गया ,
जिसके बाद केंद्र सरकार द्वारा 14 अक्टूबर 2003 को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग का गठन किया गया।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की संरचना /गठन
एक अध्यक्ष
(वर्तमान अशोक कुमार गुप्ता)
6 सदस्य
(सदस्यों की संख्या 2 से कम नहीं तथा 6 से अधिक नहीं)
नियुक्ति सरकार द्वारा
मुख्यालय -नई दिल्ली
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प्रतिस्पर्धा आयोग के प्रमुख लक्ष्य या उद्देश्य
A. स्वतंत्र सुनिश्चित करना
B.प्रतिस्पर्धा का संवर्धन और उसे बनाए रखना
C.उपभोक्ता हितों की रक्षा
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*प्रतिस्पर्धा आयोग के आयोग के कार्य*
1. प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली पद्धतियों पर रोक लगाना,
2. बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना तथा इसे बनाए रखना,
3. भारतीय बाजार में व्यापार की स्वतंत्रता बनाए रखना,
4. आर्थिक संसाधनों के उचित प्रयोग के फल स्वरुप प्रतिस्पर्धा नीतियों को कार्य रूपण देना,
5. प्रतिस्पर्धा के सार तत्व का लाभ लोगों तक ले जाने के लिए पर्याप्त सूचनाओं का आदान प्रदान करना,
6.आयोग द्वारा स्वयं अपनी जानकारी अथवा ज्ञान के आधार पर जांच शुरू की जा सकती है,
7.यदि कोई संस्थान अपनी प्रभावशाली स्थिति का लाभ उठा रहा है ,तो केंद्र सरकार को इसके विभाजन की संतुष्टि करना,
8. मुआवजा प्रदान करवाना ,समझौते में सुधार लाना, इत्यादि कार्य आयोग के द्वारा संपन्न किए जाते हैं।
*निष्कर्ष*:-
कहा जा सकता है कि प्रतिस्पर्धा आयोग भारतीय व्यवस्था में एक नवाचार हैं जो मुक्त स्वस्थ उपभोक्ता हितों का संरक्षण करता।