सिख धर्म गुरु उनके गुरु काल एवं कार्य की सूची-
सिख धर्म के 10 गुरुओं के नाम, उनका समय, उनके क्रमानुसार सूची तथा विभिन्न गुरुओं के प्रमुख कार्यों से संबंधित प्रश्न एवं महत्वपूर्ण जानकारी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर पूछी जाती है, यहां पर सिख धर्म में 10 गुरुओं से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी तथा सिख धर्म से संबंधित अन्य तथ्य आसान भाषा में दिए गए हैं।
list of 10 Sikh gurus names in order
सिख धर्म में 10 गुरुओं की क्रमानुसार सूची
1.गुरु नानक देव
इन्होंने ही सिख धर्म की स्थापना की तथा आदि ग्रंथ की रचना भी गुरु नानक देव के द्वारा की गई ,
इनका कार्यकाल 1469 से 15 39 ईसवी तक रहा।
2.गुरु अंगद
यह सिख धर्म के दूसरे गुरु हुए ,इनका समय 1539 से 1552 ईसवी तक रहा ,
गुरु अंगद को गुरुमुख लिपि के जनक के रूप में भी जाना जाता है।।
3.गुरु अमर दास
यह सिख धर्म के तीसरे गुरु थे इनका कार्यकाल 1552 से 1574 ईसवी तक रहा,
गुरु अमर दास ने सिख धर्म के प्रचार प्रसार हेतु 22 गद्दीयों की स्थापना की थी।
4.गुरु रामदास
यह सिखों के चौथे गुरु थे,इन्होंने ही सन 1577 में अमृतसर नगर की स्थापना की थी तथा इनका गुरु काल 1574 से 1581 ईसवी तक रहा।
5.गुरु अर्जुन देव
इनका कार्यकाल 1581 से 1606 इसवी तक रहा .
श्री हरमिंदर साहिब जिसे स्वर्ण मंदिर के रूप में भी जाना जाता है इसकी नींव गुरु अर्जुन देव के द्वारा ही रखी गई तथा गुरु अर्जुन देव ने ही गुरु ग्रंथ साहिब का संकलन करवाया था।
गुरु अर्जुन देव को जहांगीर ने खुसरो की सहायता करने के कारण फांसी की सजा दी थी।
6.गुरु हरगोविंद सिंह
इन्होंने अकाल तख्त की स्थापना की ,तथा सिखों को सैनिक जाति में बदलने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए
इनका कार्यकाल 1606 से 1645 ईस्वी तक रहा।
7.गुरु हर राय
इनका कार्यकाल या गुरु काल 1643 से 1661 ईस्वी तक रहा
गुरु हर राय ने उत्तराधिकार के युद्ध में जो कि मुगल साम्राज्य के मध्य हुआ था ,उसमें भी भाग लिया।
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8.गुरु हरकिशन
इनका का गुरु काल 1661 से 1664 ईस्वी तक रहा तथा अल्प वयस्क अवस्था में ही इनकी मृत्यु हो गई थी।
9.गुरु तेग बहादुर
गुरु तेग बहादुर सिखों के नौवें गुरु थे ,जिनका कार्यकाल या गुरु काल 1664 से 1675 ईस्वी तक रहा ,
इस्लाम कबूल न करने के कारण औरंगजेब के द्वारा गुरु तेग बहादुर का सिर कटवा दिया गया था।
10.गुरु गोविंद सिंह
यह सिखों के दसवें एवं अंतिम गुरु हुए ,इनका गुरु काल 1675 से 1708 ईसवी तक रहा ,
इन्होंने ही खालसा पंथ की स्थापना की थी।
सिख धर्म के उदय से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य- exam gk
गुरु नानक के बाद गुरु अंगद तथा गुरु अमर दास ने सिख पंथ को महत्वपूर्ण बनाया ,
मुगल सम्राट अकबर ने गोविंदवाल में गुरु अमरदास से मुलाकात की थी।
सिख धर्म के चौथे गुरू रामदास ने अमृतसर नगर बसाया और गुरु अर्जुन देव ने आदि ग्रंथ का 1604 में संकलन करवाया था।
सिख धर्म के नवें गुरु, गुरु तेग बहादुर की सन 1675 ईसवी में औरंगजेब ने दिल्ली में हत्या करवा दी
अंतिम तथा दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी।
गुरु गोविंद सिंह द्वारा आनंदपुर में खालसा की स्थापना के पूर्व निरंकारी गुरु नानक एवं सिख धर्म पर बल देते थे।
गुरु गोविंद सिंह के बाद बंदा बहादुर सिखों का प्रमुख नेता हुए, जिनकी 1715 ईस्वी में फर्रूखसियर ने हत्या करवा दी थी बाद में सिखों का विभाजन 12 मिसलो में हो गया।
गुरु गोविंद सिंह का निवास स्थान आनंदपुर साहिब था एवं उनकी कार्य स्थली पाओता थी,
बंदा बहादुर का जन्म 1670 में पुंछ जिले में रजौली गांव में हुआ था ।
इनके बचपन का नाम लक्ष्मण दास था ,बंदा का उद्देश्य पंजाब में एक सिख राज्य स्थापित करने का था।
बंदा बहादुर ने गुरु नानक एवं गुरु गोविंद सिंह के नाम से सिक्के चलवाए।
गुरु गोविंद सिंह ने अपने को सच्चा पादशाह कहा, उन्होंने सिखों के लिए पांच ककार अनिवार्य किया अर्थात प्रत्येक सीख को पांच अनिवार्य वस्तुएं जिनमें कड़ा ,केश ,कंघा ,कच्छा तथा कृपाण अनिवार्य रूप से धारण करने एवं अपने नाम के अंत में सिंह शब्द जोड़ने के लिए कहा गया।
मुगल सम्राट अकबर ने गुरु अमरदास से गोविंद वाल में जाकर भेंट की और गुरु पुत्री बीबी भानी को कई गांव दान दिए।
सिखों के आठवें गुरु गुरु हरकिशन की कम अवस्था में ही मृत्यु हो गई थी ,उनकी मृत्यु चेचक रोग से हुई थी।
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सिख धर्म की प्रमुख मान्यताएं
गुरु नानक के आरंभिक धर्म उपदेशों में - कीरत करो अर्थात कर्म करो ,नाम जपो अर्थात ईश्वर का स्मरण करो तथा वंड छको अर्थात मिल बांटकर खाओ (परोपकार करो) इन उपदेशों में इसकी मान्यताएं दिखाई देती है ,
सिख धर्मावलंबी परम ईश्वर में विश्वास रखते हैं जिसे अकाल पुरुष कहा जाता है।
सिख धर्म में आत्मा की अमरता, कर्म की प्रधानता, आवागमन अर्थात तीर्थ स्थल आदि हिंदू धर्म से प्रभावित है,
सिख अकाल पुरुष ,10 गुरु तथा गुरु ग्रंथ साहिब में असीम श्रद्धा रखते हैं ,
प्रत्येक सिंह को 5 वस्तुएं अनिवार्यता धारण करना होती है ,
5 अनिवार्य वस्तुओं में कड़ा ,केश ,कंघा ,कच्छा तथा कृपाण शामिल है ,इसे पंच ककार कहा जाता है।
सिख धर्म की मान्यता के अनुसार कोई भी व्यक्ति जन्मजात सीख नहीं होता है, बल्कि खालसा पंथ में उसका दाखिला अर्थात पाहुल नामक संस्कार करवाने के उपरांत वह सिख धर्म का अनुयाई माना जाता है।
पाहुल नामक संस्कार के उपरांत ही कोई व्यक्ति खालसा पंथ की सम्मानजनक उपाधि अर्थात सिंह को अपने नाम में जोड़ सकता है ,
परवर्ती काल में धार्मिक सुधारों के पश्चात सिख संप्रदाय में कुछ नए संप्रदाय बने जिसमें नामधारी निरंकारी ,राधा स्वामी आदि संप्रदाय प्रमुख है।