मंदिर निर्माण की तीन प्रमुख शैलियां-Exam Gk
मंदिर निर्माण शैलियां -नागर शैली द्रविड़ शैली बेसर शैली
Nagar Shaili/ Dravid Shaili/ Besar Shaili in Hindi.
मंदिर निर्माण की तीन प्रमुख शैलियों -नागर शैली ,द्रविड़ शैली एवं बेसर शैली से संबंधित प्रश्न विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे MPPSC ,MPSC exam ,Railway Exam, patwari exam test ,SSC exam ,IBPS exam,peb exams आदि में प्रमुखता से पूछे जाते है।
यहां पर मंदिर निर्माण की तीन प्रमुख शैलियों नागर शैली द्रविड़ शैली एवं बेसर शैली की प्रमुख विशेषताओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी सरल भाषा में प्रदान की गई है।
मंदिर स्थापत्य कला अर्थात मंदिरों के निर्माण की क्रिया गुप्त काल से प्रारंभ मानी जाती है।
शिल्प ग्रंथों में मंदिर स्थापत्य कला के क्षेत्र में तीन प्रकार के शिखरों का उल्लेख मिलता है, जिनके आधार पर मंदिर निर्माण की तीन शैलियों का विकास हुआ यह तीन शैलियां निम्न है
नागर शैली
द्रविड़ शैली तथा
बेसर शैली।
नागर शैली के मंदिरों की प्रमुख विशेषताएं / Feature of Nagar Shaili temple in Hindi
- नागर शैली के मंदिरों की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं।
- इस शैली के मंदिरों की शिखर मीनार नुमा अर्थात गुंबदाकार होते हैं।
- शीर्ष पर आमलक रखा रहता है और उसके ऊपर शूल सहित कलश की स्थापना की जाती है।
- इन मंदिरों के गर्भ ग्रह चौकोर आकृति के होते हैं।
- विभिन्न उत्तर भारत के प्रांतों में बने इन मंदिरों की इस शैली में थोड़ी-थोड़ी भिन्नता सामान्यता पाई जाती है, जिसके कारण उनकी विभिन्न उप शैलियां बन गई है।
- भारत में नागर शैली के मंदिर ओडिशा बुंदेलखंड गुजरात और दक्षिणी राजस्थान में प्रमुखता से पाए जाते हैं।
द्रविड़ शैली के मंदिरों की प्रमुख विशेषताएं एवं उदाहरण
important feature and characteristics of Dravid Shaili temple in Hindi
- द्रविड़ शैली के मंदिरों का शिखर पिरामिड नुमा होता है ,जो ऊपर की ओर आकार में छोटी होती मंजिलों का बना होता है।
- इन मंदिरों के पिरामिड का शीर्ष भाग 8 या 6 कोणों के आकार का होता है
- गर्भ ग्रह वृत्ताकार आकृति का बना होता है।
- द्रविड़ शैली के मंदिरों की अन्य विशेषताओं में अनुषंगी भवन ,स्तंभ युक्त सभा भवन जिसे मंडप कहा जाता है ,एवं लंबी गलियारे आदि इनकी प्रमुख विशेषताएं हैं।
- द्रविड़ शैली के मंदिर दक्षिण भारत में प्रमुखता से पाए जाते हैं।
- द्रविड़ शैली के मंदिरों का निर्माण पल्लव ,चालुक्य ,चोल शासकों के शासनकाल में हुआ।
द्रविड़ शैली के मंदिरों के प्रमुख उदाहरण -
महाबलीपुरम के मंदिर
कांची के मंदिर
वातापी तथा एहोल मंदिर
तंजौर का राजराजेश्वर मंदिर और बृहदेश्वर मंदिर तथा श्रीरंगम का वैष्णव मंदिर प्रमुख द्रविड़ शैली के मंदिर है।
बेसर शैली के मंदिरों की प्रमुख विशेषता तथा उदाहरण
Feature and characteristics of Besar Shaili temple in Hindi.
- बेसर शैली -नागर शैली एवं द्रविड़ शैली का मिश्रित रूप है ,इस शैली के मंदिरों की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है
- इस शैली के मंदिर बहूभूजी अथवा तारों की आकृति के होते हैं
- इस शैली के मंदिर एक ऊंचे ठोस चबूतरे पर स्थित होते हैं।
- बेसर शैली के मंदिर की दीवारों पर पुराणों तथा कथाओं के विभिन्न दृश्यों की खुदी हुई चित्रकारी ,राक्षसों ,हाथियों ,हंसों आदि की खुदी हुई चित्रकारी स्पष्ट रूप से देखने को मिलती है
- बेसर शैली के मंदिरों का निर्माण चालुक्य ,राष्ट्रकूट तथा होयसल राजवंशों के समय हुआ था
बेसर शैली के मंदिरों के उदाहरण
एहोल के मंदिर
बादामी के मंदिर
बेलूर एवं हेलविड के मंदिर
नागर शैली एवं द्रविड़ शैली के मंदिरों में प्रमुख अंतर
Difference between Nagar Shaili and Dravid Shaili in Hindi
- नागर शैली के मंदिरों का शिखर रेखीय अर्थात गुंबद आकार होता है जबकि द्रविड़ शैली के मंदिरों का शिखर पिरामिड नुमा आकृति का होता है।
- नागर शैली (उत्तर भारतीय)मंदिरों में गोपुरम अर्थात चारदीवारी की संरचना नहीं पाई जाती है, जबकि द्रविड़ शैली के मंदिरों में गोपुरम मंदिर का एक महत्वपूर्ण भाग होता है।
- नागर शैली के मंदिरों में अनुषंगी भवनों की व्यवस्था नहीं होती है जबकि द्रविड़ शैली के मंदिरों में अनुषंगी भवन, स्तंभ युक्त सभा भवन, मंडप, लंबे गलियारे आदि पाए जाते हैं।
- नागर शैली के मंदिरों में खुदी हुई चित्रकारी सामान्यता नहीं पाई जाती है जबकि द्रविड़ शैली के मंदिरों में देवताओं पशुओं आदि की खुद हुईं आकृतियां प्रमुखता से पाई जाती है।
मंदिर निर्माण शैली एवं मंदिर स्थापत्य कला से संबंधित परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण तथ्य
मंदिर स्थापत्य कला का विकास गुप्त काल से प्रारंभ हुआ था।
गुप्तकालीन वास्तुकला के सर्वोत्तम उदाहरण मंदिर ही है ,मंदिरों के अवशेष इसी काल से मिलने प्रारंभ हुए थे।
गुप्तकालीन मंदिरों में गर्भ ग्रह में केवल मूर्ति भी स्थापित रहती थी।
मंदिर स्थापत्य कला के विकास क्रम को पांच चरणों में विभाजित किया गया है।
मध्यप्रदेश में सांची में स्थित मंदिर,मंदिर स्थापत्य कला के प्रथम चरण का उदाहरण है।
नचनाकुठार का पार्वती मंदिर जो कि मध्य प्रदेश में स्थित है मंदिर स्थापत्य कला की द्वितीय चरण का उदाहरण है।
पंचायतन मंदिर में मुख्य मंदिर के चारों और छोटे मंदिरों का निर्माण किया जाता है ,इस प्रकार के मंदिर, मंदिर स्थापत्य कला की तृतीय चरण में विकसित हुए।
मंदिर निर्माण की तीन प्रमुख शैलियों का विकास पंचम चरण में हुआ।
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