राष्ट्रीय आय [नेशनल इनकम] से संबंधित परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण तथ्य -
राष्ट्रीय आय अर्थात national income से संबंधित प्रश्न विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं (competitive exam )में जैसे- upsc,mppsc, ibps, banking , ssc, mp police, railway exam peb exam (पीईबी एग्जाम )में अक्सर पूछे जाते हैं
यहां पर भारत की राष्ट्रीय आय , जीडीपी [GDP] एनडीपी [NDP] ,GNP एवं नेशनल इनकम से संबंधित सभी महत्वपूर्ण तथ्यों को आसान भाषा में बताया गया है,
भारत में सबसे पहले राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय की गणना दादा भाई नौरोजी के द्वारा की गई थी उन्होंने सन 1867-68 में प्रति व्यक्ति आय ₹20 होना बताया था,
दादा भाई नौरोजी को भारत का वयोवृद्ध पुरुष भी कहा जाता है, [Grand old man of India- Dadabhai Naoroji ]
भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात राष्ट्रीय आय की गणना हेतु राष्ट्रीय आय समिति की स्थापना सन 1949 में की गईथी,
राष्ट्रीय आय समिति के अध्यक्ष पीसी महालनोविस थे,
भारत में राष्ट्रीय आय की गणना का कार्य केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सेंट्रल स्टैटिकल ऑर्गेनाइजेशन -CSO ] के द्वारा किया जाता है
भारत में राष्ट्रीय आय की गणना से संबंधित आंकड़े NSSO [नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन] के द्वारा एकत्रित किए जाते हैं।
वर्तमान में भारत की संपूर्ण जीडीपी में सर्वाधिक योगदान महाराष्ट्र राज्य का है ,महाराष्ट्र का कुल जीडीपी में लगभग 14% हिस्सा है.
जीडीपी में सर्वाधिक योगदान देने वाले भारत के तीन शीर्ष राज्यों का क्रम इस प्रकार है
1. महाराष्ट्र 2. उत्तर प्रदेश 3. गुजरात
भारत का सबसे युवा जनसंख्या वाला राज्य बिहार है, बिहार राज्य की जनसंख्या की औसत उम्र 20 वर्ष है।
भारत का सबसे ज्यादा औसत उम्र वाला राज्य केरल है यहां के निवासियों की औसत उम्र 31 वर्ष है।
भारत में राष्ट्रीय आय की गणना वित्तीय वर्ष अर्थात 1 अप्रैल से 31 मार्च को आधार मानकर की जाती है।
भारत में राष्ट्रीय आय की गणना दो पद्धतियों से की जाती है - उत्पाद पद्धति एवं आय पद्धति.
साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद को ही राष्ट्रीय आय कहा जाता है। [Net national product at factor cost = Nation income ]
वर्तमान में राष्ट्रीय आय की गणना का आधार वर्ष 2011-12 निर्धारित है
भारत में वर्ष 2015 से राष्ट्रीय आय की गणना साधन लागत [factor cost]की बजाय बाजार मूल्य [market price]के आधार पर की जाती है.
राष्ट्रीय आय की गणना करने में निम्नलिखित मुद्दों को सम्मिलित नहीं किया जाता है-
मध्यवर्ती वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य को ,पुरानी वस्तुओं अर्थात पिछले वित्त वर्ष में उत्पादित वस्तुओं या सेवा के मूल्य को ,घरेलू सेवाओं एवं कार्यों के मूल्य को ,वित्तीय परिसंपत्तियों जैसे ऋण पत्र क्रय विक्रय से संबंधित लाभ एवं अंश पत्र को तथा हस्तांतरण भुगतान जैसे पेंशन वजीफा लॉटरी स्कॉलरशिप आदि को ,एवं विदेशों से प्राप्त उपहार अर्थात गिफ्ट को राष्ट्रीय आय की गणना में सम्मिलित नहीं किया जाता है।
राष्ट्रीय आय की परिभाषा बताइए ?
एक वित्तीय वर्ष में देश के नागरिकों के द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तु एवं सेवा के मौद्रिक मूल्य को राष्ट्रीय आय कहा जाता है।
सकल घरेलू उत्पाद अर्थात [जीडीपी] ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट किसे कहते हैं ?
सकल घरेलू उत्पाद अर्थात ग्रॉस डॉमेस्टिक प्रोडक्ट से आशय किसी देश की घरेलू सीमा के अंदर उत्पादित होने वाले अंतिम वस्तु एवं सेवा का मौद्रिक मूल्य होता है,
सकल राष्ट्रीय उत्पाद अर्थात ग्रॉस नेशनल प्रोडक्ट किसे कहते हैं?
सकल राष्ट्रीय उत्पाद से आशय देश के नागरिकों के द्वारा उत्पादित वस्तु एवं सेवा से हैं
जीडीपी और जीएनपी में क्या अंतर है? /सकल घरेलू उत्पाद एवं सकल राष्ट्रीय उत्पाद में क्या अंतर है?
difference between GDP and DNP in Hindi
सकल घरेलू उत्पाद में केवल वही उत्पाद एवं सेवाएं सम्मिलित किए जाते हैं जो देश की सीमा के अंदर उत्पादित होते हैं, परंतु सकल राष्ट्रीय उत्पाद[ GNP ]में वह उत्पाद एवं सेवा सम्मिलित होते हैं जो देश के नागरिकों के द्वारा सृजित की गई हो, चाहे वह उत्पाद या सेवा देश के अंदर सृजित हो या किसी अन्य देश में सृजित हो अर्थात सकल राष्ट्रीय उत्पाद में देश के नागरिकों के द्वारा अर्जित की गई आय को ही सम्मिलित किया जाता है।।
अर्थात जीडीपी में से उस आय को घटाकर जो विदेशी लोगों ने देश के अंदर प्राप्त की हो एवं उस आय को जोड़कर जो देश के नागरिकों ने विदेशों में प्राप्त की हो, का समायोजन करके सकल राष्ट्रीय उत्पाद प्राप्त किया जा सकता है।
सकल उत्पाद में से मूल्य हास अर्थात डिप्रेशिएशन को घटाकर नेट प्रोडक्ट की गणना की जाती है
सकल राष्ट्रीय उत्पाद - मूल्य हास = नीवल राष्ट्रीय उत्पाद
Grosse national product (GNP) - depreciation = net national product( NNP)
सकल घरेलू उत्पाद - मूल्य हास = नीवल घरेलू उत्पाद
GDP-depreciation =NDP
भारत की राष्ट्रीय आय में सर्वाधिक योगदान तृतीय क्षेत्र अर्थात सेवा क्षेत्र का है ,उसके बाद द्वितीय क्षेत्र अर्थात औद्योगिक क्षेत्र का स्थान आता है ,तथा कृषि क्षेत्र जिसे प्राथमिक क्षेत्र भी कहा गया है राष्ट्रीय आय में तीसरा स्थान रखता है।
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