हिंदी भाषा का विकास क्रम-
development of hindi language
हिंदी शब्द की उत्पत्ति का संबंध भारत में प्रवाहित होने वाली सिंधु नदी से हैं-
➖हिंदी शब्द का विकास कई चरणों में हुआ-
-सिंधु > हिन्दू >हिन्द+ई >हिन्दी
▪️विश्व में लगभग 3000 भाषाएं बोली जाती हैं जिसमें से हिंदी एक हैं।
▪️हिंदी भारोपीय परिवार की भाषा है।
▪️भारत में बोलने वाले भारोपीय परिवार का प्रतिशत 73% है।
▪️प्राचीन हिंदी का समय 1100 ई. से 1400 ई. तक था।
▪️मध्यकालीन हिंदी का समय 1400ई. से 1850 ई. तक था।
▪️आधुनिक हिंदी का समय 1850ई. से आज तक है।
हिंदी भाषा का विकास क्रम इस प्रकार है-
-संस्कृत > पाली >प्राकृत >अपभ्रंश >अवहट्ट > प्राचीन \प्रारंभिक हिंदी >आधुनिक हिंदी
(> विकास चिन्ह के लिए प्रयुक्त संकेत )
मध्यकालीन हिंदी में भाषा के तीन रूप सामने आए-
1. ब्रजभाषा-
ब्रज भाषा का प्रयोग सूरदास ,नंददास ,श्री भट्ट ,गंगाधर भट्ट, हरिवंश ,रसखान ,मीराबाई ,केशवदास ,चिंतामणि ,मतिराम ,सेनापति ,देव, पद्माकर ,बिहारी ,रस निधि, घनानंद, आलम ,ठाकुर ,बोधा, द्विज देव आदि ने अपने काव्य में किया।
2. अवधी-
अवधी भाषा का प्रयोग कुतुबन,जायसी, मंझन, नूर मोहम्मद, कासिम शाह, शेख निसार, अली शाह, तुलसीदास आदि ने अपनी रचनाओं में किया।
3.खड़ी बोली-
खड़ी बोली का प्रयोग कबीर, नानक, दादू, मलूक दास, रज्जब ,गंग, रहीम, आलम ,जटमल ,वली ,सौदा, इन्शा ,नजीर, संत प्राणनाथ आदि ने अपनी बोली में किया है।
आधुनिककालीन हिंदी में खड़ी बोली को अधिक प्रोत्साहन मिला।
खड़ी बोली के अंतर्गत 4 युग शामिल थे
▪️भारतेन्दु पूर्व युग- इस युग का समय 13 वीं शताब्दी से 1850 ई. तक रहा।
(13 वीं सदी से 18 वीं सदी तक हिंदी- उर्दू में कोई मौलिक भेद नहीं था)
▪️भारतेन्दु युग- इस युग का समय 1850 ई. से 1900ई. तक रहा।
▪️द्विवेदी युग- इस युग का समय 1900ई. से 1920 ई. तक रहा।
▪️छायावादी युग- इस युग का समय 1918 ई. से 1936 ई. तक रहा।
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