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Showing posts with the label दार्शनिक/विचारक

[ imp*]जैन धर्म के प्रमुख विचार एवं सिद्धांत

  जैन धर्म के प्रमुख विचार एवं सिद्धांत  संस्थापक -   ऋषभदेव (प्रथम तीर्थंकर) वास्तविक संस्थापक -  महावीर स्वामी (24 वे तीर्थंकर) महावीर स्वामी सामान्य परिचय जन्म - 540 इ.पु.( कुंड ग्राम) वैशाली मृत्यु -  468 ईसा पूर्व (पावापुरी) पिता-  सिद्धार्थ (ज्ञात्रक कुल के सरदार) माता - त्रिशला (लिच्छवी राजा चेटक की बहन) पत्नी - यशोदा पुत्री -  प्रियदर्शनी बचपन का नाम - वर्धमान ज्ञान की प्राप्ति रिजुपालिका नदी के तट पर *साल वृक्ष के नीचे जैन धर्म से संबंधित विषय वस्तु ( विचार एवं सिद्धांत) स्यादवाद बंधन मोक्ष त्रिरत्न पंच महाव्रत जैन धर्म की प्रमुख शिक्षाएं स्यादवाद( सप्त भंगी सिद्धांत/ अनेकांतवाद):-  स्याद वाद ज्ञान की सापेक्षता का सिद्धांत है जिसके अनुसार साधारण मनुष्य का ज्ञान परिस्थिति व दृष्टिकोण पर निर्भर करता है जैन दर्शन के अनुसार मनुष्य का संपूर्ण ज्ञान सापेक्षत: सत्य होता है। इसका कारण यह है कि विश्व में अनेक वस्तुएं हैं एवं अनेक वस्तुओं के अनेक गुणधर्म है तथा एक साधारण मनुष्य को किसी एक समय में वह एक दृष्टिकोण से वस्तुओं के उन सभी गुणों का ज्ञान होना संभव नहीं है अतः मनुष्य किसी एक सम

[IMP*] गौतम बुद्ध -The light of Asia

   गौतम बुद्ध / बौद्ध धर्म  के प्रमुख विचार एवं सिद्धांत  [गौतम बुद्ध]  Gautam buddha - MPPSC,UPSC MAINS EXAM, important fact for all competitive exams     महात्मा गौतम बुद्ध को  The light of Asia- कहा जाता है । जो बौद्ध धर्म की संस्थापक थे। गौतम बुद्ध का सामान्य परिचय* जन्म-   563 ईसा पूर्व लुंबिनी मृत्यु -   483 ईसा पूर्व( कुशी नारा देवरिया) बचपन का नाम-सिद्धार्थ पिता-   शुद्धोधन (शाक्या गण के मुखिया) माता-   महामाया सौतेली मां- ( गौतमी प्रजापति ) पत्नी -  यशोधरा पुत्र -  राहुल महत्वपूर्ण शिष्य-  सारिपुतष्म और महामोदलायन बौद्ध धर्म से संबंधित प्रतीक कमल एवं सांड- जन्म घोड़ा - ग्रहण त्याग (महाभिनिष्क्रमण) पद चिन्ह- निर्माण पीपल (बोधि वृक्ष)- ज्ञान स्तूप- मृत्यु बौद्ध धर्म से संबंधित विषय वस्तु चार आर्य सत्य अष्टांगिक मार्ग क्षणिकवाद अनात्मवाद त्रिरत्न त्रिपिटक  बोधिसत्व अर्हत पद  बौद्ध धर्म की प्रमुख मान्यताएं चार आर्य सत्य 1.दुख है  2.दुख समुदाय  3.दुख निरोध  4.दुख निरोध गामिनी प्रतिपदा       यह चारों आर्य सत्य वैज्ञानिक क्रम में है यह लक्षण से प्रारंभ होकर कारणों की पहचान तथा उनके न

प्लेटो के प्रमुख विचार / सिद्धांत - आसान भाषा में

दोस्तों आप सभी ने महान दार्शनिक प्लेटो का नाम तो सुना ही होगा , और आपको महान दार्शनिक प्लेटो के बारे में जानने की इच्छा भी हुई होगी, आज के इस लेख में प्लेटो जो कि यूनान के महान दार्शनिक थे ,तथा पूरे विश्व में महानतम दार्शनिकों में गिने जाते हैं उनके विभिन्न विचारों जैसे  प्लेटो का राज्य संबंधी विचार ,   प्लेटो के सदगुण संबंधी विचार   ,,   प्लेटो के शिक्षा संबंधी विचार  , प्लेटो के राजनीतिक विचार आदि के बारे में रोचक एवं आसान तरीके से इस लेख के माध्यम से जानेंगे।।।। प्लेटो के प्रमुख विचार -MPPSC   प्लेटो का  जन्म    - 427 ईसवी पूर्व( एथेंस यूनान ) मृत्यु                    - 447 ईसवी पूर्व  बचपन का नाम        अरिष्टोक्रेसीज  प्लेटो के गुरु    -        सुकरात   प्लेटो के शिष्य       -  अरस्तु प्लेटो की  प्रमुख रचनाएं  द रिपब्लिक  द स्टेटसमेन  द फिलेबस प्लेटो के  प्रमुख सिद्धांत 1.प्रत्यय का सिद्धांत  2.राज्य संबंधित विचार  3.सद्गुण संबंधित विचार  4.शुभ संबंधित अवधारणा 5. दार्शनिक शासक की अवधारणा         प्लेटो की नीति मीमांसा की अभिव्यक्ति उनके दो ग्रंथ द रिपब्लिक तथा द फिलेबस मैं हु

अरस्तु के प्रमुख सिद्धांत- MPPSC

अरस्तु  , जो कि एक महान यूनानी दार्शनिक थे,  अरस्तु के न्याय संबंधी विचार  , अ रस्तु के राज्य संबंधी विचार  ,अरस्तु के सिद्धांत , अरस्तु के क्रांति संबंधी विचार  ,आदि से संबंधित प्रश्न विभिन्न परीक्षाओं में ,विशेषकर प्रशासनिक सेवाओं की भर्ती परीक्षाओं में प्रमुखता से पूछे जाते हैं,  इस लेख में अरस्तु से संबंधित सभी प्रमुख विचारों को , अरस्तु की जीवनी आदि के बारे में आसान भाषा में वर्णन किया गया है,  इस लेख को पढ़ने के उपरांत अरस्तु से संबंधित प्रश्नों को आसानी के साथ हल किया जा सकेगा   अरस्तु के प्रमुख सिद्धांत- MPPSC  अरस्तु का जन्म -384 ईसा पूर्व (उत्तरी ग्रीस )  मृत्यु   -  322 ईसा पूर्व    अरस्तु के गुरु     -  प्लेटो  शिष्य    -  सिकंदर महान शिक्षण संस्था का नाम - लीशियस   अरस्तु की प्रमुख रचनाएं   द पॉलिटिक्स  हिस्टोरिया  एनीमिया  अरस्तु के प्रमुख सिद्धांत 1.सद्गुण का सिद्धांत  2.न्याय का सिद्धांत 3.राज्य की अवधारणा 4. सामाजिक विचार     अरस्तु ,प्लेटो के शिष्य और एक महान यूनानी दार्शनिक थे। जहां प्लेटो ने दार्शनिक आदर्शवाद की स्थापना की वही अरस

कौटिल्य के प्रमुख विचार - सप्तांग सिद्धांत /मंडल सिद्धांत

कौटिल्य जिन्हें चाणक्य के नाम से भी जाना जाता है,    कौटिल्य के प्रमुख विचार - सप्तांग सिद्धांत /मंडल सिद्धांत से  संबंधित प्रश्न  एवं कौटिल्य/चाणक्य   के बारे में सामान्य जानकारी से संबंधित प्रश्न लगभग सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं, इस लेख में कौटिल्य एवं उनके प्रमुख विचारों से संबंधित सभी महत्वपूर्ण तथ्यों का वर्णन आसान भाषा में किया गया है ,इस लेख को पढ़ने के उपरांत विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में कौटिल्य से संबंधित प्रश्नों को आसानी से हल किया जा सकेगा, कौटिल्य के प्रमुख विचार - सप्तांग सिद्धांत /मंडल सिद्धांत कौटिल्य का जन्म - 375 ईसा पूर्व तक्षशिला    मृत्यु - 283 ईसा पूर्व पाटलिपुत्र प्रमुख रचना अर्थशास्त्र कौटिल्य का सामान्य परिचय- कौटिल्य चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री प्रधानमंत्री थे, प्राचीन भारतीय राजनीतिक चिंतकों में कौटिल्य का स्थान सर्वोपरि है। कौटिल्य को शासन कला तथा कूटनीति कला का महान दार्शनिक माना जाता है, कौटिल्य द्वारा रचित अर्थशास्त्र राजनीतिक शिक्षा का एक महान ग्रंथ है।             कौटिल्य का राजनीतिक चिंतन नैतिकता और सुशासन

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध / essay on teachers day in Hindi

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के विचार , डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी, डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी , डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के शिक्षा संबंधी विचार , शिक्षक दिवस पर निबंध  essay on teachers day in Hindi  डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के राजनीतिक विचार, डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन-MPPSC , डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म भारत के तमिलनाडु में 5 सितंबर 1888 को हुआ था डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मृत्यु 17 अप्रैल 1975 को हुई। अपने जीवन काल को शिक्षा के प्रति समर्पित करने के कारण उनके जन्मदिन 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के प्रमुख विचार 1. शिक्षा संबंधी विचार 2. संस्कृति संबंधी विचार 3. धर्म संबंधी विचार 3. समानता के समर्थक 5.नव वेदांत से प्रभावित               डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक शिक्षक थे ,तथा भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति बने ,शिक्षक के रूप में उन्होंने सर्वप्रथम दर्शन शास्त्र की शिक्षा देना प्रारं

मौलाना अबुल कलाम आजाद पर निबंध -MPPSC

अबुल कलाम आजाद के विचार , अबुल कलाम आजाद के प्रमुख विचार, अबुल कलाम आजाद के शिक्षा सम्बन्धी विचार  , मौलाना अबुल कलाम आजाद -MPPSC मौलाना अबुल कलाम आजाद का  जन्म -11 नवंबर 1888 (मक्का) अबुल कलाम आजाद के बारे महत्वपूर्ण तथ्य:-  इनकी जन्मतिथि पर (11 नवंबर )राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है , यह देश के प्रथम शिक्षा मंत्री व भारत रत्न से सम्मानित हैं  अबुल कलाम आजाद एक कवि, लेखक, पत्रकार व भारतीय स्वतंत्रता सेनानी तथा एक दार्शनिक थे।  अ बुल कलाम आजाद के प्रमुख विचार-mppsc  1. राष्ट्रवादी विचारक 2. संप्रदायवाद का विरोध 3. आधुनिकता के समर्थक 4.गांधीवादी विचारों से प्रभावित                 मौलाना अबुल कलाम आजाद राजनीति में संप्रदाय वाद के विरोधी थे, उनका मानना था कि धर्म व्यक्ति का व्यक्तिगत मामला है अतः इसका प्रयोग राजनीति व राष्ट्रवादी मामलों में नहीं करना चाहिए ,व राजनीति को धर्म से मुक्त रखा जाना चाहिए।              आजाद पर पश्चिमी दर्शन का प्रभाव था ,अतः उन्होंने आधुनिकतावादी  मूल्यों का समर्थन किया ,उनका मानना था कि परंपरागत रूढ़िवादितागत मूल्यों को जो कि स

अरविन्द घोष के सामाजिक विचार

अरविन्द घोष के सामाजिक विचार , अरविन्द घोष की प्रमुख पुस्तकें, अरविन्द घोष के दार्शनिक विचार, अरविन्द घोष के राजनीतिक विचार , महर्षि अरविन्द घोष -mppsc , अरविन्द घोष के शिक्षा सम्बन्धी विचार, अरविन्द घोष का योग दर्शन , अरविन्द घोष इन हिंदी -pdf ,  अरविन्द घोष पर निबन्ध  अरविन्द घोष से सम्बंधित प्रश्नोत्तर  अरविन्द घोष का जन्म -15 अगस्त (1872 कोलकाता) अरविन्द घोष की प्रमुख पुस्तकें  ➥एसेस ऑफ गीता  ➥सावित्री ➥लाइफ डिवाइडिंग  ➥वेदांत दर्शन ➥राजयोग ➥विवेकानंद कर्म योग अरविन्द घोष के सामाजिक विचार /अरविन्द घोष के राजनीतिक विचार -mppsc 1. धर्म संबंधी राष्ट्रवाद 2. समानता के पक्षधर 3.उपनिवेश के विरोधी 4. अंतरराष्ट्रीय राष्ट्रवाद अरविन्द घोष के दार्शनिक विचार-mppsc 1. वेदांत दर्शन (जड़ चेतन) 2. निर्गुण निराकार ईश्वर( ब्रह्मा)  अरविन्द घोष के सामाजिक विचार           महर्षि अरविंद राष्ट्रवादी विचारक थे, उन्होंने "देवीय/ आध्यात्मिक राष्ट्रवाद" के सिद्धांत का प्रतिपादन किया।  महर्षि अरविंद का मानना था कि राष्ट्रवाद एक