जैन धर्म के प्रमुख विचार एवं सिद्धांत संस्थापक - ऋषभदेव (प्रथम तीर्थंकर) वास्तविक संस्थापक - महावीर स्वामी (24 वे तीर्थंकर) महावीर स्वामी सामान्य परिचय जन्म - 540 इ.पु.( कुंड ग्राम) वैशाली मृत्यु - 468 ईसा पूर्व (पावापुरी) पिता- सिद्धार्थ (ज्ञात्रक कुल के सरदार) माता - त्रिशला (लिच्छवी राजा चेटक की बहन) पत्नी - यशोदा पुत्री - प्रियदर्शनी बचपन का नाम - वर्धमान ज्ञान की प्राप्ति रिजुपालिका नदी के तट पर *साल वृक्ष के नीचे जैन धर्म से संबंधित विषय वस्तु ( विचार एवं सिद्धांत) स्यादवाद बंधन मोक्ष त्रिरत्न पंच महाव्रत जैन धर्म की प्रमुख शिक्षाएं स्यादवाद( सप्त भंगी सिद्धांत/ अनेकांतवाद):- स्याद वाद ज्ञान की सापेक्षता का सिद्धांत है जिसके अनुसार साधारण मनुष्य का ज्ञान परिस्थिति व दृष्टिकोण पर निर्भर करता है जैन दर्शन के अनुसार मनुष्य का संपूर्ण ज्ञान सापेक्षत: सत्य होता है। इसका कारण यह है कि विश्व में अनेक वस्तुएं हैं एवं अनेक वस्तुओं के अनेक गुणधर्म है तथा एक साधारण मनुष्य को किसी एक समय में वह एक दृष्टिकोण से वस्तुओं के उन सभी गुणों का ज्ञान होना संभव नहीं है अतः मनुष्य किसी एक सम
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