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प्लेटो के प्रमुख विचार / सिद्धांत - आसान भाषा में

दोस्तों आप सभी ने महान दार्शनिक प्लेटो का नाम तो सुना ही होगा , और आपको महान दार्शनिक प्लेटो के बारे में जानने की इच्छा भी हुई होगी, आज के इस लेख में प्लेटो जो कि यूनान के महान दार्शनिक थे ,तथा पूरे विश्व में महानतम दार्शनिकों में गिने जाते हैं उनके विभिन्न विचारों जैसे  प्लेटो का राज्य संबंधी विचार,   प्लेटो के सदगुण संबंधी विचार  ,,  प्लेटो के शिक्षा संबंधी विचार  , प्लेटो के राजनीतिक विचार आदि के बारे में रोचक एवं आसान तरीके से इस लेख के माध्यम से जानेंगे।।।।

प्लेटो के प्रमुख विचार -MPPSC




प्लेटो के प्रमुख विचार -MPPSC  


प्लेटो का  जन्म    - 427 ईसवी पूर्व( एथेंस यूनान )
मृत्यु                    - 447 ईसवी पूर्व 
बचपन का नाम        अरिष्टोक्रेसीज 
प्लेटो के गुरु  -        सुकरात  
प्लेटो के शिष्य      -  अरस्तु

प्लेटो की प्रमुख रचनाएं 

द रिपब्लिक 
द स्टेटसमेन 
द फिलेबस


प्लेटो के प्रमुख सिद्धांत

1.प्रत्यय का सिद्धांत 
2.राज्य संबंधित विचार 
3.सद्गुण संबंधित विचार 
4.शुभ संबंधित अवधारणा
5. दार्शनिक शासक की अवधारणा

        प्लेटो की नीति मीमांसा की अभिव्यक्ति उनके दो ग्रंथ द रिपब्लिक तथा द फिलेबस मैं हुई है ,
उन्होंने सिरेनाईक तथा सीनीक मतों के अतिवादी मार्गों का विरोध करते हुए कहा कि सिरेनाईक  संप्रदाय के अंदर सुखवाद  तथा सीनिक संप्रदाय के कठोर वैराग्यवाद  दोनों ही एकांकी अपूर्ण है।

 उनका मानना था कि मनुष्य को आनंद व संयम का समन्वय करना चाहिए ,उसे मानसिक व शारीरिक सुखों की प्राप्ति करनी चाहिए किंतु विवेक के अधीन रहते हुए।


 प्लेटो का प्रत्यय का सिद्धांत:-


प्लेटो भी सुकरात की तरह एक प्रत्ययवादी   विचारक थे ,उन्होंने इस संसार की सभी वस्तुओं को प्रत्ययो का संघात माना है ,
उनका मानना था कि बाहरी संसार केवल एक आभास मात्र हैं ,
प्लेटो के अनुसार वास्तविक संसार अनंत तथा परिवर्तनशील विचारों का अमूर्त  क्षेत्र है। 
भौतिक संसार के पदार्थ व वस्तुएँ केवल आभास है ,जो विचारों के संसार के आकार मात्र हैं।

प्लेटो का राज्य संबंधित विचार,


  प्लेटो का साम्यवाद का विचार 


संपत्ति का साम्यवाद, स्त्री परिवार का साम्यवाद ,प्लेटो ने अपनी राज्य संबंधित अवधारणा अपनी पुस्तक द रिपब्लिक में दी है, प्लेटो गणतंत्र को अस्वीकार करते हैं, और एक समुदाय का आदर्श राज्य साम्यवाद की संकल्पना प्रस्तुत करते हैं!

             प्लेटो के अनुसार संग्रहणशीलता की प्रवृत्ति के कारण तथा पारिवारिक बंधनों के कारण भ्रष्टाचार फैलता है 

अतः  आदर्श राज्य में ना तो निजी संपत्ति होनी चाहिए और ना ही पारिवारिक संबंध की कोई प्रणाली।
 रहन सहन सामुदायिक होगा व खाने-रहने की समान व्यवस्था होगी ,स्त्रियां व  बच्चे सभी होंगे ,तथा बच्चों को जन्म के निश्चित समय पश्चात उनके माता-पिता से अलग कर दिया जाएगा ,और उनका पालन पोषण राज्य के द्वारा किया जाएगा, तथा कमजोर और बीमार बच्चों को उनके जन्म के साथ ही मरने के लिए छोड़ दिया जाएगा।


         इस प्रकार के राज्य में एक उचित प्रकार की शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी , शिक्षा को प्लेटो ने  बहुत महत्वपूर्ण माना है 
शिक्षा में नैतिकता ,सांस्कृतिक, शारीरिक एवं खेलकूद शामिल होंगे ,जिसमें बालक व बालिका है दोनों सम्मिलित होंगे।

          जनता ऐसे प्रस्तावित राज्य को सरलता पूर्वक स्वीकार करेगी ? ....  इसमें प्लेटो का संदेह है

 अतः प्लेटो शाही  झूठ  व धार्मिक मिथकों  का सहारा लेने पर बल देते हैं। 

धार्मिक मिथक के द्वारा यह प्रचारित किया जाएगा कि ईश्वर ने तीन प्रकार के वर्ग बनाए हैं
 शासक वर्ग 
सैनिक वर्ग एवं 
साधारण वर्ग 
और यदि जनता इस व्यवस्था को देवीय आदेश मानकर स्वीकार कर लेगी तो किसी प्रकार का असंतोष या विरोध नहीं रहेगा।


प्लेटो का सद्गुण संबंधित विचार:- 


प्लेटो ने नैतिक आचरण का आधार सद्गुणों को बताया है, प्लेटो ने भी सुकरात की भांति सद्गुणों को विशेष महत्व दिया है ,
प्लेटो ने चार सद्गुणों को नैतिक जीवन का आधार माना है जो निम्न है-

विवेक, साहस ,संयम और न्याय 

इनमें से सबसे महत्वपूर्ण सद्गुण प्लेटो ने न्याय को माना है , अर्थात जब पहले तीन सद्गुण विवेक साहस संयम का सही अनुपालन व सामंजस्य स्थापित होने से चौथा व सर्वोच्च नैतिक सद्गुण न्याय की प्राप्ति होगी।.   


      प्लेटो ने इन सद्गुणों की व्याख्या व्यक्ति व राज्य दोनों के लिए की है , 

प्लेटो ने राज्य के 3 वर्ग बताएं 
1.शासक वर्ग -जो विवेक का प्रतिनिधि है 
2.सैनिक वर्ग- जो साहस का प्रतिनिधि है 
3.साधारण वर्ग -जो संयम का प्रतिनिधि है। 

अगर तीनों वर्ग एक दूसरे के कार्यों में हस्तक्षेप ना करें और सैनिक तथा व्यापारी वर्ग शासक वर्ग के आदेशों के निर्देशों का पालन पूरी इमानदारी से करेंगे तो राज्य न्याय पूर्ण होगा।
 

 प्लेटो का शुभ संबंधित विचार:-


प्लेटो ने अपनी शुभ संबंधी अवधारणा  प्रस्तुत करते हुए कहा कि शुभ एक ऐसी अवस्था है ,जब व्यक्ति भौतिक तथा भावनात्मक दोनों पक्षों से पूर्ण समन्वय पर आधारित संतुलित व सामंजस्य पूर्ण जीवन जीता है,

 प्लेटो के अनुसार आनंद व चिंतन का समुचित समन्वय ही वास्तविक सुख वह वास्तविक रूप में मानव कल्याण है। 
प्लेटो केवल मानसिक तथा बौधिक सुख को ही वास्तविक सुख नहीं मानते थे, वे इसमें शारीरिक सुख को भी महत्वपूर्ण मानते थे।


प्लेटो के प्रमुख विचार -MPPSC

 प्लेटो के आदर्श राज्य की प्रमुख विशेषताएं:-   


1.दार्शनिक शासक          
2.निरंकुश शासन पर लगान
3.आदर्श राज्य में न्याय 
4.नागरिकों के 3 वर्ग -शासक, सैनिक ,उत्पादक 
5.कार्य विशेषता का सिद्धांत
6. शिक्षा व्यवस्था पर शासन का नियंत्रण 
7.अश्लील साहित्य व कला पर प्रतिबंध 
8.साम्यवादी व्यवस्था 
9.स्त्री पुरुषमें  समानतापूर्ण व्यवहार 
10.सर्वाधिकारी राजा

 मुझे उम्मीद है कि आप को इस लेख को पढ़ने के उपरांत प्लेटों के विभिन्न विचारों  -,  प्लेटो के न्याय संबंधी विचार  , प्लेटो के सदगुण संबंधी विचार  ,  प्लेटो के राजनीतिक विचार तथा प्लेटो के गुरु एवं उससे संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी को समझने में अवश्य मदद मिली होगी, इसी प्रकार के महानतम दार्शनिक विचारकों के बारे में जानकारी इस वेबसाइट पर उपलब्ध है ,आप होम पेज पर जाकर अपनी आवश्यकता अनुसार जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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