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Showing posts from September, 2020

राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक संवैधानिक तथा सांविधिक संस्थाएं -MPPSC

  राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक संवैधानिक तथा सांविधिक संस्थाएं  NATIONAL AND REGIONAL CONSTITUTIONAL AND STATUTORY BODIES  ➤भारत निर्वाचन आयोग  ➤राज्य निर्वाचन आयोग ➤संघ लोक सेवाआयोग ➤मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ➤नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ➤नीति आयोग ➤मानवाधिकार आयोग ➤बाल संरक्षण आयोग ➤अनुसूचित जाति एवं  ➤अनुसूचित जनजाति आयोग ➤पिछड़ा वर्ग आयोग ➤सूचना आयोग ➤सतर्कता आयोग ➤राष्ट्रीय हरित अधिकरण ➤खाद्य संरक्षण आयोग।     राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक संवैधानिक तथा सांविधिक संस्थाएं -MPPSC  For detail - click here  

[imp*]भारत में रेल परिवहन सामान्य ज्ञान प्रश्न उत्तर

  General knowledge question answer on Indian railway in Hindi for competitive exams.  भारत में रेल परिवहन सामान्य ज्ञान प्रश्न उत्तर भारतीय रेल परिवहन एवं रेल मुख्यालयों तथा रेलवे से संबंधित सामान्य ज्ञान के प्रश्न उत्तर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर पूछे जाते हैं । यहां पर भारतीय रेल से संबंधित सामान्य ज्ञान के महत्वपूर्ण तथ्य को सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है जो कि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। भारतीय रेल एशिया की सबसे बड़ी तथा विश्व की दूसरी सबसे बड़ी रेल व्यवस्था है भारत में पहली रेल 1853 में मुंबई से थाने के बीच चली थी ,इसमें कुल 34 किलोमीटर की यात्रा तय की थी। भारतीय रेलवे बोर्ड की स्थापना वर्ष 1950 में हुई थी ,तथा रेलवे का राष्ट्रीयकरण वर्ष 1950 में हुआ। भारतीय रेल की पहली विद्युत रेल गाड़ी (इलेक्ट्रिक रेल) 3 फरवरी 1925 को मुंबई और कुर्ला के बीच चली थी। भारत में मेट्रो रेल का शुभारंभ 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के द्वारा कोलकाता मेट्रो रेलवे के रूप में किया गया था। भूमिगत मेट्रो अर्थात अंडर ग्राउंड मेट्रो रेल की सुविधा कोलकाता एवं

उत्तर वैदिक काल के देवता/धार्मिक जीवन

 उत्तर वैदिक काल का धार्मिक जीवन  उत्तर वैदिक काल के देवता,यज्ञ,आडंबर ,कर्मकांडऔर अंधविश्वास उत्तर वैदिक काल की धार्मिक स्थिति उत्तर वैदिककालीन आर्यों की धार्मिक स्थिति में व्यापक परिवर्तन हुए,  इस काल की धार्मिक स्थिति का अध्ययन निम्नांकित शीर्षकों के माध्यम से किया जा सकता है -  * यज्ञ   यज्ञ इस संस्कृति का मूल था। यज्ञ के साथ-साथ अनेकानेक अनुष्ठान व मंत्रविधियाॅ भी प्रचलित हुई।  उपनिषदों में स्पष्टतः यज्ञो तथा कर्मकांडों की निंदा की गई है ,तथा ब्रह्म की एकमात्र सत्ता स्वीकार की गई। यज्ञों में बलि का महत्व बढ़ गया था। यज्ञों में पुरोहितों की संख्या भी बढ़ गई थी। यज्ञ आम जनता की पहुँच से दूर होने लगे थे।  यज्ञ भी विभिन्न प्रकार के होने लगे थे। जैसे -  अश्वमेघ यज्ञ,  राजसूय यज्ञ,  वाजपेय यज्ञ, सौत्रामणि यज्ञ,  पुरुषमेघ यज्ञ। *उत्तर वैदिक काल के देवता - ऋग्वैदिक कालीन देवताओं की इस काल में भी पूजा होती थी, परंतु अब उनकी स्थिति में परिवर्तन आ गया था , ऋग्वैदिक कालीन प्रमुख देवता - इंद्र व वरुण आदि इस काल में प्रमुख नहीं रहे।  उत्तरवैदिक काल में प्रजापति को सर्वोच्च स्थान प्राप्त हो गया

उत्तर वैदिक काल का आर्थिक जीवन- महत्वपूर्ण तथ्य एवं प्रश्न उत्तर

उत्तर वैदिक काल का आर्थिक जीवन   उत्तर वैदिक काल  में कृषि ,पशुपालन ,उद्योग एवं व्यवसाय ,व्यापार एवं वाणिज्य  ऋग्वैदिक काल की अपेक्षा उत्तर वैदिक काल में आर्यों के आर्थिक जीवन में पर्याप्त प्रगति हो गई थी। उत्तर वैदिक कालीन लोगों के आर्थिक जीवन को निम्नांकित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है , * कृषि उत्तर वैदिक काल में आर्यों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। ' शतपथ ब्राह्मण' में कृषि से संबंधित चारों क्रियाओ जुताई बुआई कटाई तथा मड़ाई का उल्लेख किया गया है।   इस ग्रंथ में 'विदेह माधव' की कथा का भी उल्लेख मिलता है, जिससे यह संकेत मिलता है कि आर्य संपूर्ण गंगा घाटी में कृषि करने लगे थे। भूमि जोतने के लिए हल का प्रयोग किया जाता था। भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने और अच्छी फसल उगाने के लिए खाद का भी प्रयोग किया जाता था। जौ, चावल, गेहूं, उड़द, मूंग, तिल, मसूर आदि खाद्यान्न उगाए जाते थे और वर्ष में दो फसलें उत्पन्न की जाती थी।  * पशुपालन  उत्तर वैदिक काल में आर्यों का दूसरा प्रमुख व्यवसाय पशुपालन था।  हल चलाने के लिए 6 व 8 जोड़े बैल जाते जाते थे। दलदली भूमि पर हल चलाने के लिए यह प

उत्तर वैदिक काल का भौगोलिक विस्तार exam question mppsc upsc

उत्तर वैदिक काल का भौगोलिक विस्तार  उत्तर वैदिक काल/ सभ्यता का विस्तार /प्रभाव किन किन क्षेत्रों पर था ? *पंजाब से आर्यजन गंगा यमुना दोआब के अंतर्गत संपूर्ण पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फैल गए थे ,दो प्रमुख कबीले भारत और पुरू एक होकर कुरु नाम से विदित हुए। *आरंभ में वे लोग दोआब के ठीक छोर पर सरस्वती और दृष्टावती नदियों के प्रदेश में बसे शीघ्र ही कुरूओ ने दिल्ली क्षेत्र और दोआब के ऊपरी भाग पर अधिकार कर लिया जो कुरुक्षेत्र नाम से प्रसिद्ध हुआ।  *हस्तिनापुर को अपनी राजधानी बनाया जो मेरठ जिले में पड़ता है।प्राचीन कथाओं के अनुसार जानते हैं कि हस्तिनापुर बाढ़ में बह गया और कुरू वंश से जो जीवित रहे वे इलाहाबाद के पास कौशांबी जाकर बस गए।  *उत्तर वैदिक काल का अंत होते-होते 600 ईसा पूर्व के आसपास वैदिक लोग दोआब से पूरब की ओर पूर्वी उत्तर प्रदेश के कोशल और उत्तरी बिहार के विदेह में फैले।  अंततः इस काल की सभ्यता का केंद्र पंजाब से बढ़कर कुरुक्षेत्र तक आ गया था , 600 ईसा पूर्व के आसपास आर्य लोग कोशल विदेह एवं अंग राज्य से परिचित थे , शतपथ ब्राह्मण में उत्तर वैदिक कालीन रेवा और सदानीरा नदियों का उल्लेख

*पुनर्जागरण क्या है ?संबंधित प्रश्न उत्तर PSC UPSC EXAM

पुनर्जागरण से संबंधित प्रश्न विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर पूछे जाते ,हैं इस लेख में निम्नलिखित महत्वपूर्ण तथ्यों को सम्मिलित किया गया है जैसे - पुनर्जागरण क्या है? पुनर्जागरण के क्या कारण थे ? पुनर्जागरण के क्या प्रभाव हुए एवं पुनर्जागरण के महत्वपूर्ण घटनाक्रम तथा व्यक्ति से संबंधित परीक्षा उपयोगी जानकारी आसान भाषा में दी गई है। WORLD HISTORY NOTES IN HINDI FOR MPPSC , UPSC EXAM  पुनर्जागरण क्या है? इसका क्या अर्थ है?  ( renaissance in hindi ) पुनर्जागरण का सामान्य अर्थ होता है फिर से जागना। यह वह स्थिति थी जब यूरोपीय समाज मध्य काल के अंधकार में समय को पीछे छोड़कर नवीन मानवतावादी आधुनिक काल में प्रवेश कर रहा था। पुनर्जागरण कोई धार्मिक या सामाजिक आंदोलन नहीं था बल्कि यह एक बौद्धिक एवं मानसिक क्रांति थी। जिसका प्रारंभ सबसे पहले यूरोप के इटली में हुआ। तथा सोलवीं सदी के आते आते यह क्रांति यूरोप के विभिन्न देशों में फैल गई। यूरोप/इटली में पुनर्जागरण के क्या कारण थे ? यूरोप में पुनर्जागरण के पीछे निम्नलिखित महत्वपूर्ण कारण जिम्मेदार थे। 1.धर्म युद्ध या कूसेड की भूमिका यह धर्म युद्ध

वैदिक आश्रम व्यवस्था के प्रकार /आश्रम व्यवस्था पर निबंध/बहुविकल्पीय प्रश्न

आश्रम व्यवस्था से क्या अभिप्राय है ? वैदिक आश्रम व्यवस्था के प्रकार  आश्रम व्यवस्था पर निबंध    आश्रम व्यवस्था पर  बहुविकल्पीय प्रश्न MCQs वर्ण व्यवस्था के साथ-साथ  उत्तर वैदिक काल में  आश्रम व्यवस्था भी स्थापित हुई  उत्तर वैदिक कालीन समाज के अंतर्गत आश्रम व्यवस्था का संबंध व्यक्ति के व्यक्तिगत सुधारो एवं संस्कारों से था।  छांदोग्य उपनिषद में  केवल तीन आश्रमों का उल्लेख मिलता है ब्रह्मचर्य, गृहस्थ तथा वानप्रस्थ  किंतु जवालोपनिषद में चार आश्रम बताएं गए हैं जिनका विवरण निम्नांकित है -  आश्रम व्यवस्था के प्रकार एवं महत्व  1.ब्रह्मचर्य आश्रम : ब्रह्मचर्य आश्रम के अंतर्गत व्यक्ति जीवन के प्रारंभिक 25 वर्षों तक गुरु के आश्रम में रहकर विद्याध्ययन करता था और ब्रह्मचर्य जीवन का पालन करता था।  2.गृहस्थ आश्रम : ब्रह्मचर्य आश्रम के पश्चात 26 से 50 वर्ष की आयु तक व्यक्ति गृहस्थ जीवन व्यतीत करता था जिसमें पति और बच्चों के साथ रहना, धन कमाना और अतिथि का स्वागत सम्मान करना उसके प्रमुख कर्तव्य माने जाते थे।  3.वानप्रस्थ आश्रम : गृहस्थ आश्रम के पश्चात 56 से 75 वर्ष की आयु तक व्यक्ति को वानप्रस्थ  आश्र

उत्तर वैदिक काल का राजनीतिक जीवन / स्थिति mppsc /upsc exam

उत्तर वैदिक काल का राजनीतिक जीवन  उत्तर वैदिक काल में राजनीतिक स्थिति  उत्तर वैदिक काल में आर्य सभ्यता धीरे-धीरे पूरब एवं दक्षिण में फैली ,प्राचीन आर्यों का उत्तरी पश्चिमी भारत अब उपेक्षित हो गया था, तथा आर्य संस्कृति का केंद्र अब कुरुक्षेत्र बन गया था,  उत्तर वैदिक काल में हिमालय से विंध्याचल के मध्य का संपूर्ण भाग आर्यों के प्रभाव क्षेत्र में आ गया था , उत्तरवैदिक काल की राजनीतिक व्यवस्था में हमें निरंतरता एवं परिवर्तन दोनों के तत्व दिखाई देते हैं  उत्तरवैदिक कालीन साहित्य से तत्कालीन राजनीतिक स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त होती है जिसका अध्ययन निम्नांकित शीर्षकों के अंतर्गत किया जा सकता है -   शक्तिशाली राज्यों का उदय उत्तर वैदिक काल में आर्यों के विस्तार के साथ साथ राज्यों और राजवंशों में भी परिवर्तन हुए। कौशल ,काशी ,विदेह, पांचाल ,कैकेय ,कलिंग , सूरसेन आदि  राजवंश प्रमुख बन गए।  आरंभ में पांचाल एक कबीले का नाम था  परंतु बाद में वह प्रदेश का नाम  हो गया ,इस काल में पांचाल सर्वाधिक विकसित राज्य था। इस काल में राज्यों के निर्माण 'कुल' के आधार पर न होकर भौगोलिक  आधार पर ह

MPPSC मैन्स एथिक्स पेपर IV new syllabus in Hindi

 MPPSC mains ethics paper IV new syllabus in Hindi  नीतिशास्त्र सत्यनिष्ठा दर्शन शास्त्र मनोविज्ञान एवं लोक प्रशासन mppsc mains paper 4  मानवीय आवश्यकताएं एवं अभिप्रेरणा , लोक प्रशासन में नैतिक सद्गुण एवं मूल्य  प्रशासन में नैतिक तत्व -   सत्य निष्ठा ,उत्तरदायित्व एवं पारदर्शिता , नैतिक तर्क एवं नैतिक दुविधा तथा नैतिक मार्गदर्शन के रूप में अंतर आत्मा  लोक सेवकों हेतु आचरण संहिता , शासन में उच्च मूल्यों का पालन। दार्शनिक विचारक सामाजिक कार्यकर्ता तथा समाज सुधारक महावीर  बुद्ध कौटिल्य  प्लेटो अरस्तु  सुकरात  गुरु नानक  कबीर दास  तुलसीदास  रविंद्र नाथ टैगोर  राजा राममोहन राय  स्वामी दयानंद सरस्वती  स्वामी विवेकानंद  श्री अरविंदो मोहनदास करमचंद गांधी  सर्वपल्ली राधाकृष्णन  डॉ भीमराव अंबेडकर  मौलाना अबुल कलाम आजाद  दीनदयाल उपाध्याय  राम मनोहर लोहिया  महर्षि अरविंद  सावित्रीबाई फुले  आचार्य शंकर  ऋषि चार्वाक मनोवृति -               विषय वस्तु ,तत्व ,प्रकार्य ,               मनोवृत्ति का निर्माण ,मनोवृत्ति परिवर्तन ,                प्रबोधक संप्रेषण पूर्वाग्रह तथा विभेद                भारतीय स

भारत / मध्य प्रदेश के विभिन्न शहरों के प्राचीन नाम exam question

मध्य प्रदेश के विभिन्न शहरों के प्राचीन नाम  भारत के विभिन्न नगरों के प्राचीन नाम    भारत में विभिन्न नगरों के प्राचीन नाम से संबंधित सामान्य ज्ञान के प्रश्न विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं यहां पर भारत के एवं मध्य प्रदेश राज्य के विभिन्न नगरों के पुराने नामों की सूची दी गई है। मध्य प्रदेश के विभिन्न शहरों के प्राचीन नाम   वर्तमान नाम             प्राचीन नाम इंदौर                                 इंदूर  उज्जैन                                उज्जयिनी /अवंतिका पुरी  मंदसौर                                     दशपुर  ग्वालियर                              गोपांचल   विदिशा                               बेसनगर/भेलसा  डॉक्टर भीमराव अंबेडकर नगर      महू  बुधनी                               बुद्ध  निवासनी  सीहोर                                     सीधापुर  अमरकंटक                        आम्र कूट   धार                                       धारा नगरी  कायथा                                     कपित्थ्य  सुहागपुर                               विशप  पूरी  मांडू                         

List of tourist places in Madhya Pradesh in Hindi/मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों की सूची

पर्यटन की दृष्टि से मध्य प्रदेश एक संपन्न राज्य है । यहां इससे अनेक स्थल है जो अपनी प्राकृतिक या धार्मिक या ऐतिहासिक या स्थानीय विशेषताओं के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है इस लेख में मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन  स्थलों की सूची दी गई है  मध्य प्रदेश के प्रमुख  पर्यटन स्थलों की सूची, List of tourist place in Madhya Pradesh in Hindi, tourist places  in Madhya Pradesh in different season,   आसान भाषा में समझने के लिए मध्य प्रदेश के  पर्यटन  स्थलों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है जैसे मध्य प्रदेश के प्रमुख ऐतिहासिक  पर्यटन  स्थल  मध्यप्रदेश की प्रमुख धार्मिक  पर्यटन स्थल एवं  मध्य प्रदेश के प्रमुख प्राकृतिक  पर्यटन  स्थल मध्य प्रदेश के प्रमुख प्राकृतिक  पर्यटन  स्थल  Famous Natural tourist places in Madhya Pradesh मध्य प्रदेश ,भारत देश के मध्य में बसा एक ऐसा प्रदेश है जहां पर विभिन्न प्रकार के जंगल अनेक प्रकार के जंगली जानवर ,नदियां पहाड़ मौजूद है, जो पूरे विश्व के सैलानियों को को अपनी और आकर्षित करते हैं ,तथा प्रतिवर्ष विश्व के विभिन्न देशों से सैलानी मध्य प्रदेश के प्राकृतिक पर