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ऊष्मा संचरण की विधियां conduction convection radiation in hindi

 वायुमंडल में ऊष्मा संचरण की विधियां 

Types /methods of heat transfer in hindi,

Conduction convection radiation in hindi


conduction convection radiation in hindi


वायुमंडल में ऊष्मा का एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवाहित होना ही ऊष्मा  का स्थानांतरण कहलाता है, और इसी के द्वारा वायुमंडल ठंडा एवं गर्म होता है ,

वायु मंडल में ऊष्मा का स्थानांतरण चार विधियों के द्वारा होता है इन्हीं चार विधियों से वायुमंडल ठंडा एवं गर्म होता रहता है।


  • चालन Conduction
  • संवहन Convection 
  • विकिरण Radiation
  • अभिवहन  Advection 

conduction convection radiation in Hindi

1.चालन- इसे अंग्रेजी में कंडक्शन कहा जाता है।

ऊष्मा संचरण की विधियां चालन के द्वारा केवल ठोस पदार्थों में ही ऊष्मा का स्थानांतरण अधिक ताप वाली वस्तु से निम्न तापमान वाली वस्तु की ओर होता है।

चालन विधि के द्वारा ऊष्मा का स्थानांतरण केवल ठोस माध्यम में ही संभव हो पाता है इसमें माध्यम के कारण उष्मा प्राप्त कर निकटवर्ती कण  को ऊष्मा स्थानांतरित करते हैं,

इसमें माध्यम के कण  अपना स्थान परिवर्तित नहीं करते हैं।

ऊष्मा स्थानांतरण की यह क्रिया तब तक चलती रहती है जब तक की दोनों वस्तुओं का तापमान समान ना हो जाए।

चालन प्रक्रिया के द्वारा वायुमंडल का ठंडा एवं गर्म होने में ज्यादा महत्वपूर्ण योगदान नहीं होता है,

इस विधि के द्वारा केवल वायुमंडल की निचली परत ही गर्म या ठंडी होती है।


2.संवहन - इसे अंग्रेजी में कन्वैक्शन कहते हैं।

संवहन  विधि द्वारा ऊष्मा का स्थानांतरण गैस एवं द्रव माध्यम में होता है तथा इसमें माध्यम के कण अपना स्थान परिवर्तित करते हैं।

उदाहरण के लिए गैस बर्नर पर किसी बर्तन में पानी का गर्म होना।

conduction convection radiation in hindi


वायुमंडल में ऊष्मा के स्थानांतरण की इस विधि में पृथ्वी के संपर्क में आई वायु गर्म होकर धरातल से ऊपर की ओर उठने लगती है और वायुमंडल में ताप का संचरण धरातल से अंतरिक्ष की तरफ होने लगता है।

वायुमंडल में पृथ्वी के धरातल से लंबवत तापमान के स्थानांतरण की विधि ही संवहन कहलाती है।

जब वायुमंडल की निचली परत भौमिक विकिरण (terrestrial radiation )अथवा चालन के द्वारा गर्म हो जाती है तो उस स्थान की वायु फैलने लगती है जिससे कि उसका घनत्व कम हो जाता है और घनत्व कम होने से वह हल्की हो जाती है और ऊपर की ओर उठने लगती है,

इस प्रकार वह वायु निचली परतों  से ऊष्मा को लेकर ऊपर की ओर प्रवाहित होती है,

ऊपर की ठंडी वायु  उसका स्थान लेने के लिए नीचे आती है और कुछ देर बाद वह भी गर्म हो जाती है इस प्रकार संवहन प्रक्रिया द्वारा वायुमंडल क्रमशः नीचे से ऊपर गर्म होता रहता है,

वायुमंडल गर्म होने में यह मुख्य भूमिका निभाता है

संवहन द्वारा ऊष्मा का स्थानांतरण केवल क्षोभ मंडल तक सीमित रहता है।


3.विकिरण- इसे अंग्रेजी में रेडिएशन कहा जाता है,

ऊष्मा संचरण की इस विधि में किसी भी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है,सूर्य से चलने वाली प्रकाश किरणें पृथ्वी तक विकिरण के द्वारा ही पहुंचती है।

विकिरण से आशय किसी पदार्थ को ऊष्मा तरंगों के संचार द्वारा सीधे गर्म होने की प्रक्रिया से है।

conduction convection radiation in hindi


पृथ्वी द्वारा प्राप्त सौर विकिरण जो लघु तरंगों के रूप में होता है पृथ्वी की सतह को गर्म करता है,

पृथ्वी स्वयं गर्म होने के बाद एक विकिरण पिंड  बन जाती है और वायुमंडल में दीर्घ तरंगों के रूप में उर्जा का विकिरण करने लगती है,

यह ऊर्जा वायुमंडल को नीचे से गर्म करती है इस प्रक्रिया को पार्थिव विकिरण  टेरेस्टेरियल रेडिएशन कहते हैं 

दीर्घ तरंग धैर्य विकिरणवायुमंडलीय गैसों  मुख्यतः कार्बन डाइऑक्साइड एवं अन्य ग्रीन हाउस गैसों जैसे मेथेन,सल्फर डाइऑक्साइड,नाइट्रोजन डाइऑक्साइड आदि द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है,/p>

इस प्रकार वायुमंडल पार्थिव विकिरण(terrestrial radiation)द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से गर्म होता है ना कि सीधे सूर्यातप से।

 4.अभिवहन- इसे अंग्रेजी में  Advection कहते हैं,

वायु की क्षितिज संचलन से होने वाला ताप का स्थानांतरण अभिवहन कहलाता है,लंबवत संचलन की अपेक्षा वायु का क्षितिज संचलन सापेक्षिक रूप से अधिक महत्वपूर्ण होता है

 Advection के कारण ही गर्म वायु राशियां जब ठंडे इलाकों में जाती है तो उन्हें गर्म कर देती है,

इससे ऊष्मा का संचार निम्न अक्षांश क्षेत्रों से उच्च अक्षांश क्षेत्रों तक भी होता है,वायु द्वारा संचालित समुद्री धाराएं भी उष्ण कटिबंधसे ध्रुवीय  क्षेत्रों में ऊष्मा का स्थानांतरण करती है।

 

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