मौलिक अधिकार -सामान्य ज्ञान -महत्वपूर्ण तथ्य
मौलिक अधिकार -भाग 3, अनुच्छेद -12 से 35
मौलिक अधिकार को सविधान का मैग्ना कार्टा भी कहा जाता है!
भारतीय संविधान में मूल अधिकारों को शामिल करने के लिए नेहरू रिपोर्ट में समर्थन किया,
मौलिक अधिकार का प्रावधान अमेरिका से लिया गया है!
मौलिक अधिकार की प्रकृति वाद योग्य है!
मौलिक अधिकार का संरक्षण- सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय द्वारा किया जाता है,
मौलिक अधिकार आपातकालीन स्थिति में निलंबित किए जा सकते हैं
मौलिक अधिकार अनुच्छेद (358 से 359) आपातकालीन स्थिति में निलंबित करने के लिए प्रयोग किए जाते है!
संविधान में मूल रूप से 7 मौलिक अधिकार दिए गए थे!
वर्तमान में कुल 6 मौलिक अधिकार है!
भारतीय संविधान में दिए गए छः मौलिक अधिकार निम्न है-
समानता या समता का अधिकार
अनुच्छेद 14 से 18
अनुच्छेद 14
राज्य की सभी व्यक्ति के लिए एक समान कानून बनना व लागू होना!
अनुच्छेद 15
किसी भी धर्म जाति लिंग जन्म स्थान के आधार पर किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा!
अनुच्छेद 16
राज्य के अधीन किसी भी पद पर नियुक्ति के विषयों में सभी नागरिक को समान अवसर प्राप्त होगा!
अनुच्छेद 17
छुआछूत का अंत!
अनुच्छेद 18
भारत का कोई भी नागरिक किसी अन्य देश में बिना राष्ट्रपति की आज्ञा के कोई भी उपाधि स्वीकार नहीं कर सकता!
स्वतंत्रता का अधिकार
अनुच्छेद 19 से 22
अनुच्छेद 19
मूल संविधान में 7 तरह की स्वतंत्रता का उल्लेख था!
वर्तमान संविधान में 6 तरह की स्वतंत्रता का उल्लेख है!
1948 में 44 वा संविधान संशोधन हुआ जिसमें अनुच्छेद 19(f) संपत्ति के अधिकार को हटा दिया गया!
19a बोलने की स्वतंत्रता!
19b संपूर्ण रुप में एकत्रित होने की स्वतंत्रता बिना हथियार के साथ!
19c सभा या समूह बनाने की स्वतंत्रता!
19d भारत में किसी भी क्षेत्र में आने जाने की स्वतंत्रता!
19e भारत में किसी भी क्षेत्र में निवास करने की स्वतंत्रता!
19g जीवन यापन करने के लिए कोई भी व्यापार या रोजगार करने की स्वतंत्रता!
अनुच्छेद 20
अगर किसी व्यक्ति ने अपराध किया है तो उसे उस अपराध की एक बार ही सजा मिलेगी!
अपराध के समय जो कानून बना हुआ है उसे उसी के आधार पर अपराधी को सजा मिलेगी ना कि पहले बने कानून या बाद में बने कानून पर सजा मिलेगी!
किसी भी व्यक्ति को स्वयं के विरुद्ध न्यायालय में गवाही देने की लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है!
अनुच्छेद 21
जीवन का अधिकार
अनुच्छेद 21 क
86वाँ संविधान संशोधन 2002 अनुच्छेद 21 क
राज्य 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को निशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराएगा!
अनुच्छेद 22
किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने पर उसे गिरफ्तार करने का कारण बताना होगा!
24 घंटे के अंदर उसे दंडाधिकारी अधिकारी के समक्ष पेश करना होगा (आवागमन का समय नहीं जोड़ा जाएगा )!
उस व्यक्ति को अपने पसंद के वकील से सलाह लेने का अधिकार होगा!
शोषण के विरुद्ध अधिकार
अनुच्छेद 12 से 24
अनुच्छेद 23
किसी भी व्यक्ति से जबरदस्ती लिया हुआ श्रम निषद ठहराया गया है तथा यह दंडनीय अपराध है!
अनुच्छेद 24
14 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों को किसी भी जोखिम भरे काम पर नहीं रखा जाएगा!
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
अनुच्छेद 25 से 28
अनुच्छेद 25
कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म का प्रचार प्रसार कर सकता है तथा उसे मान भी सकता है!
अनुच्छेद 26
किसी भी व्यक्ति को अपने धर्म के लिए संस्थाओं की स्थापना करने का अधिकार है!
अनुच्छेद 27
जो व्यक्ति जिसकी आय किसी विशेष धर्म अथवा धार्मिक संपदा की उन्नति में खर्च करने के लिए निश्चित कर दी गई हो राज्य ऐसे व्यक्ति को कर देने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है,
अनुच्छेद 28
धार्मिक शिक्षा व उपासना में उपस्थित होने से मुक्त रहने का अधिकार!
संस्कृति एवं शिक्षा संबंधित अधिकार
अनुच्छेद 29 से 30
केवल अल्पसंख्यक वर्ग के लिए!
अनुच्छेद 29 कोई भी अल्पसंख्यक अपनी भाषा जाति धर्म संस्कृति की सुरक्षा कर सकता है!
अनुच्छेद 30
कोई भी अल्पसंख्यक वर्ग अपनी शैक्षिक संस्था चला सकता है और सरकार इनको अनुदान देने में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करेगी!
संवैधानिक उपचारों का अधिकार
अनुच्छेद 32
भीमराव अंबेडकर ने संवैधानिक उपचारों के अधिकार अनुच्छेद 32 को भारतीय संविधान की आत्मा कहा है!
अगर किसी भी व्यक्ति के द्वारा मौलिक अधिकार का उल्लंघन किया जाता है तब न्यायालय द्वारा रिट जारी कर दी जाती है!
सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 32 के तहत रिट जारी करता है!
हाई कोर्ट अनुच्छेद 226 के तहत रिट जारी करता है!
मौलिक अधिकार का उल्लंघन करने पर पांच प्रकार की रीट
बंदी प्रत्यक्षीकरण -
पुलिस अधिकारी द्वारा निर्दोष व्यक्ति को गिरफ्तार करने पर उस व्यक्ति द्वारा न्यायालय में याचिका जारी की जा सकती है!
परमादेश
कोई भी पदाधिकारी अपने कर्तव्य का पालन नियम से नहीं करता है तो पदाधिकारी को कर्तव्य का पालन करने का आदेश दिया जाता है!
प्रतिषेध लेख
उच्च न्यायालय व सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निम्न न्यायालय को यह आदेश दिया जाता है कि वह इस मामले में अपने यहां कार्यवाही ना करें क्योंकि यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र के बाहर है!
अधिकार पृच्छा लेख
जब कोई व्यक्ति ऐसे पदाधिकारी के रूप में कार्य करने लगता है जिसे करने का उसे अधिकार प्राप्त नहीं है!
उत्प्रेषण
ऊपरी न्यायालय निम्न न्यायालय कोई आदेश देता है कि यह मुकदमा हमारे यहां भेज दिया जाए!
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