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[imp*] भारत में वनों के प्रकार [ types of forest in India -exam Gk fact]

  भारत में वनों के प्रकार / भारत में वन कितने प्रकार के होते हैं? भारत में किस प्रकार के वन /वनस्पति /वृक्ष कहाँ पाए जाते हैं ? टाइप्स ऑफ़ फारेस्ट इन इंडिया- प्रतियोगो परीक्षाओ हेतु महत्वपूर्ण तथ्य - उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन - ऐसे स्थान के वन जहां वर्षा 200 सेंटीमीटर या उससे अधिक होती है! यहां का औसत तापमान 12 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है! ऐसे वृक्ष अधिक घने तथा लंबे होते हैं! वर्षा अच्छी होने की वजह से यहां के वृक्ष वर्ष भर हरे भरे रहते हैं! इस प्रकार के वन विषुवत रेखीय प्रदेश और उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में पाए जाते हैं! अरुणाचल प्रदेश मिजोरम में पाए जाने वाले वन है!  उष्णकटिबंधीय सदाबहार वनों में पाए जाने वाले वृक्ष -उदाहरण- महोगनी, एबोनी, रब्बर! उष्णकटिबंधीय अर्ध पतझड़ वन- ऐसे स्थान के वन हे जहां वर्षा 150 सेंटीमीटर से कम होती है! यह मुख्यतः ओडिशा उत्तर पूर्वी राज्य में पाए जाते हैं! उदाहरण -साल, सागवान एवं बांध, चंदन, महुआ आदि इसी वन में पाए जाते हैं! पर्वतीय वन- शंकुधारी वन को बोरीथल वन के नाम से भी जाना जाता है! पर्वती वन में शंकुधारी वृक्ष पाए जाते हैं! यह वृक्ष सीधे लंबे होते है

[imp*] मध्य प्रदेश का भौगोलिक विभाजन / विस्तार mppsc exam

  मध्य प्रदेश का भौगोलिक विभाजन मध्य प्रदेश का भौगोलिक विस्तार   mppsc/mpsi/peb exam  * भारत के मध्य में स्थित मध्य प्रदेश प्राचीन गोंडवाना लैंड का भाग जो अक्षांशिय दृष्टि से उत्तरी गोलार्ध में तथा देशांतरीय दृष्टि से पूर्वी गोलार्ध में विस्तृत है। *   मध्य प्रदेश का भौगोलिक विस्तार  -                                                                          21० 6' उत्तरी अक्षांश से 26०30' उत्तरी अक्षांश तथा 74 ०9 ' पूर्वी देशांतर से 82० 48'पूर्वी देशांतर तक हैं। *   मध्य प्रदेश का कुल क्षेत्रफल  308252 वर्ग किलोमीटर है जो देश के कुल क्षेत्रफल का 9. 38% है। *  प्रदेश का उत्तर से दक्षिण विस्तार 605  वर्गकि.मी. तथा पूर्व से पश्चिम विस्तार 870 वर्ग कि.मी. है। *  मध्य प्रदेश की उत्तरी सीमा चंबल नदी तथा दक्षिणी सीमा ताप्ती नदी बनाती है, जबकि पश्चिमी सीमा राजमहल पहाड़ी तथा पूर्वी सीमा मैकाल पहाड़ी बनाती है। *  मध्य प्रदेश भारत के प्रायद्वीपीय पठार का ही एक भाग है ,जहां पठारी भाग अधिक विस्तृत है कहीं-कहीं पर पर्वत श्रखंला तथाकथित मैदानी भागों का भी विस्तार है। *  मध्य प्रदेश की

[imp*]भारतीय मृदा के आठ प्रकार [8 types of soil in India in Hindi ]

भारतीय मृदा का वर्गीकरण / types of soil in India in Hindi./ classification of Indian Soil in Hindi. यहां पर भारत में पाई जाने वाली मिट्टियों की आठ प्रकार ,भारतीय मिट्टियों का वितरण एवं उनकी विशेषताओं से संबंधित परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गई है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद( ICAR) ने भारतीय मिट्टियों को 8 प्रमुख भागों एवं 27 उप  भागों में या प्रकारों में विभाजित किया है। भारतीय मृदा के आठ प्रकार भारत में पाई जाने वाली मिट्टियों के 8 प्रकार एवं उनकी विशेषताएं तथा प्राप्ति स्थल  जलोढ़ मिट्टी  Alluvial soil  काली मिट्टी  Black soil  लाल एवं पीली मिट्टी  Red and yellow soil   लेटराइट मिट्टी  Laterite soil  वन एवं पर्वतीय मिट्टी  Forest and mountain soil   शुष्क एवं मरुस्थलीय मिट्टी   Dry and desert soil लवणीय एवं क्षारीय मिट्टी   Saline and alkaline soil  दलदल युक्त एवं पीट मिट्टी   Marshy and  peat soil   IF YOU WANT TO READ IN ENGLISH - CLICK HRRE   जलोढ़ मिट्टी  Alluvial soil  जलोढ़ मृदा की प्रमुख  विशेषताएं तथा प्राप्ति स्थल  जलोढ़ मृदा को दोमट मिट्टी एवं काँप मिट्टी के न

[imp*]भारतीय मानसून की प्रमुख विशेषताएं / Indian monsoon characteristics in Hindi

मानसून क्या है ?  इसकी विशेषताएं - उत्पत्ति ,प्रकति वितरण -exam gk  मानसून शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के शब्द मौसीम से हुई है ,अरबी भाषा में मौसीम का अर्थ ऋतु है अर्थात मानसून का तात्पर्य एक ऐसी ऋतु से है जिसमें पवनों की दिशा में परिवर्तन हो जाता है। अर्थात मानसूनी पवन एक मौसमी पवन है भारतीय मानसून की प्रमुख विशेषताएं    Indian monsoon characteristics in Hindi, भारत एक कृषि प्रधान देश है यहां की अर्थव्यवस्था में कृषि का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है तथा कृषि को सर्वाधिक प्रभावित करने वाला तत्व मानसून ही है, क्योंकि देश में होने वाली कुल वर्षा का करीब 80% भाग दक्षिणी पश्चिमी मानसून की ऋतु में प्राप्त होता है। मानसून से होने वाली वर्षा मौसमी अर्थात सीज़नल है जो कि सामान्यता जून के महीने से प्रारंभ होकर सितंबर माह तक प्राप्त होती है। मानसून वर्षा मुख्य रूप से पृथ्वी के भागों की आकृति अर्थात पर्वतों की ऊंचाई ,ढाल आदि के द्वारा नियंत्रित होती है। भारत के पश्चिमी घाट पर एवं उत्तर पूर्वी भारत में वर्षा का ज्यादा मात्रा में होना वहां की पर्वतों की आकृति के कारण ही संभव हो पाता है। जैसे-जैसे मानसून

[imp*] पृथ्वी की आंतरिक संरचना - internal structure of earth in Hindi

पृथ्वी की आंतरिक संरचना- क्रस्ट मेंटल कोर  [Earth crust Mantle Core] पृथ्वी की आंतरिक संरचना की तीन परतों -अर्थ क्रस्ट (भूपर्पटी)आवरण (मेंटल) एवं आंतरिक भाग (कोर)की विभिन्न विशेषताओं से संबंधित प्रश्न सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं।  यहाँ पृथ्वी की आंतरिक संरचना एवं इसकी विभिन्न परतों से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों को आसान भाषा में चित्र के साथ दर्शाया गया है, जो कि प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे एमपीपीएससी, एसएससी पुलिस भर्ती परीक्षा, शिक्षक पात्रता परीक्षा ,बैंकिंग एग्जाम, रेलवे एग्जाम, सिविल सेवा परीक्षा आदि की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। पृथ्वी की त्रिज्या अर्थात पृथ्वी की सतह से लेकर की केंद्रीय भाग तक की लंबाई  6370 किलोमीटर है। पृथ्वी की सतह से लेकर  केंद्रीय भाग तक की दूरी को विभिन्न विशेषताओं जैसे तापमान ,आयतन ,घनत्व आदि की विशेषताओं के आधार पर तीन भागों में विभाजित किया गया है -भू पर्पटी ,आवरण एवं आंतरिक भाग (Earth crust Mantle,Core) भू पर्पटी -Earth crust की प्रमुख विशेषताएँ - पृथ्वी की आंतरिक संरचना में भूपर्पटी पृथ्वी के ऊपरी भाग वाली परत क

imp*मंदिर निर्माण शैलियां* -नागर शैली द्रविड़ शैली बेसर शैली

मंदिर निर्माण की तीन प्रमुख शैलियां-Exam Gk मंदिर निर्माण शैलियां -नागर शैली द्रविड़ शैली बेसर शैली Nagar Shaili/ Dravid Shaili/ Besar Shaili in Hindi. मंदिर निर्माण की तीन प्रमुख शैलियों -नागर शैली ,द्रविड़ शैली एवं बेसर शैली से संबंधित प्रश्न विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे MPPSC ,MPSC exam ,Railway Exam, patwari exam test ,SSC exam ,IBPS exam,peb exams आदि में प्रमुखता से पूछे जाते  है। यहां पर मंदिर निर्माण की तीन प्रमुख शैलियों नागर शैली द्रविड़ शैली एवं बेसर शैली की प्रमुख विशेषताओं के बारे में  महत्वपूर्ण जानकारी सरल भाषा में प्रदान की गई है। मंदिर स्थापत्य कला अर्थात मंदिरों के निर्माण की क्रिया गुप्त काल से प्रारंभ मानी जाती है। शिल्प ग्रंथों में मंदिर स्थापत्य कला के क्षेत्र में तीन प्रकार के शिखरों का उल्लेख मिलता है, जिनके आधार पर मंदिर निर्माण की तीन शैलियों का विकास हुआ यह तीन शैलियां निम्न है  नागर शैली  द्रविड़ शैली तथा  बेसर शैली। नागर शैली के मंदिरों की प्रमुख विशेषताएं / Feature of Nagar Shaili temple in Hindi नागर शैली के मंदिरों की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं।