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कौटिल्य के प्रमुख विचार - सप्तांग सिद्धांत /मंडल सिद्धांत

कौटिल्य जिन्हें चाणक्य के नाम से भी जाना जाता है,    कौटिल्य के प्रमुख विचार - सप्तांग सिद्धांत /मंडल सिद्धांत से  संबंधित प्रश्न  एवं कौटिल्य/चाणक्य   के बारे में सामान्य जानकारी से संबंधित प्रश्न लगभग सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं, इस लेख में कौटिल्य एवं उनके प्रमुख विचारों से संबंधित सभी महत्वपूर्ण तथ्यों का वर्णन आसान भाषा में किया गया है ,इस लेख को पढ़ने के उपरांत विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में कौटिल्य से संबंधित प्रश्नों को आसानी से हल किया जा सकेगा, कौटिल्य के प्रमुख विचार - सप्तांग सिद्धांत /मंडल सिद्धांत कौटिल्य का जन्म - 375 ईसा पूर्व तक्षशिला    मृत्यु - 283 ईसा पूर्व पाटलिपुत्र प्रमुख रचना अर्थशास्त्र कौटिल्य का सामान्य परिचय- कौटिल्य चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री प्रधानमंत्री थे, प्राचीन भारतीय राजनीतिक चिंतकों में कौटिल्य का स्थान सर्वोपरि है। कौटिल्य को शासन कला तथा कूटनीति कला का महान दार्शनिक माना जाता है, कौटिल्य द्वारा रचित अर्थशास्त्र राजनीतिक शिक्षा का एक महान ग्रंथ है।             कौटिल्य का राजनीतिक चिंतन नैतिकता और सुशासन

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध / essay on teachers day in Hindi

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के विचार , डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी, डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी , डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के शिक्षा संबंधी विचार , शिक्षक दिवस पर निबंध  essay on teachers day in Hindi  डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के राजनीतिक विचार, डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन-MPPSC , डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म भारत के तमिलनाडु में 5 सितंबर 1888 को हुआ था डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मृत्यु 17 अप्रैल 1975 को हुई। अपने जीवन काल को शिक्षा के प्रति समर्पित करने के कारण उनके जन्मदिन 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के प्रमुख विचार 1. शिक्षा संबंधी विचार 2. संस्कृति संबंधी विचार 3. धर्म संबंधी विचार 3. समानता के समर्थक 5.नव वेदांत से प्रभावित               डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक शिक्षक थे ,तथा भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति बने ,शिक्षक के रूप में उन्होंने सर्वप्रथम दर्शन शास्त्र की शिक्षा देना प्रारं

मौलाना अबुल कलाम आजाद पर निबंध -MPPSC

अबुल कलाम आजाद के विचार , अबुल कलाम आजाद के प्रमुख विचार, अबुल कलाम आजाद के शिक्षा सम्बन्धी विचार  , मौलाना अबुल कलाम आजाद -MPPSC मौलाना अबुल कलाम आजाद का  जन्म -11 नवंबर 1888 (मक्का) अबुल कलाम आजाद के बारे महत्वपूर्ण तथ्य:-  इनकी जन्मतिथि पर (11 नवंबर )राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है , यह देश के प्रथम शिक्षा मंत्री व भारत रत्न से सम्मानित हैं  अबुल कलाम आजाद एक कवि, लेखक, पत्रकार व भारतीय स्वतंत्रता सेनानी तथा एक दार्शनिक थे।  अ बुल कलाम आजाद के प्रमुख विचार-mppsc  1. राष्ट्रवादी विचारक 2. संप्रदायवाद का विरोध 3. आधुनिकता के समर्थक 4.गांधीवादी विचारों से प्रभावित                 मौलाना अबुल कलाम आजाद राजनीति में संप्रदाय वाद के विरोधी थे, उनका मानना था कि धर्म व्यक्ति का व्यक्तिगत मामला है अतः इसका प्रयोग राजनीति व राष्ट्रवादी मामलों में नहीं करना चाहिए ,व राजनीति को धर्म से मुक्त रखा जाना चाहिए।              आजाद पर पश्चिमी दर्शन का प्रभाव था ,अतः उन्होंने आधुनिकतावादी  मूल्यों का समर्थन किया ,उनका मानना था कि परंपरागत रूढ़िवादितागत मूल्यों को जो कि स

अरविन्द घोष के सामाजिक विचार

अरविन्द घोष के सामाजिक विचार , अरविन्द घोष की प्रमुख पुस्तकें, अरविन्द घोष के दार्शनिक विचार, अरविन्द घोष के राजनीतिक विचार , महर्षि अरविन्द घोष -mppsc , अरविन्द घोष के शिक्षा सम्बन्धी विचार, अरविन्द घोष का योग दर्शन , अरविन्द घोष इन हिंदी -pdf ,  अरविन्द घोष पर निबन्ध  अरविन्द घोष से सम्बंधित प्रश्नोत्तर  अरविन्द घोष का जन्म -15 अगस्त (1872 कोलकाता) अरविन्द घोष की प्रमुख पुस्तकें  ➥एसेस ऑफ गीता  ➥सावित्री ➥लाइफ डिवाइडिंग  ➥वेदांत दर्शन ➥राजयोग ➥विवेकानंद कर्म योग अरविन्द घोष के सामाजिक विचार /अरविन्द घोष के राजनीतिक विचार -mppsc 1. धर्म संबंधी राष्ट्रवाद 2. समानता के पक्षधर 3.उपनिवेश के विरोधी 4. अंतरराष्ट्रीय राष्ट्रवाद अरविन्द घोष के दार्शनिक विचार-mppsc 1. वेदांत दर्शन (जड़ चेतन) 2. निर्गुण निराकार ईश्वर( ब्रह्मा)  अरविन्द घोष के सामाजिक विचार           महर्षि अरविंद राष्ट्रवादी विचारक थे, उन्होंने "देवीय/ आध्यात्मिक राष्ट्रवाद" के सिद्धांत का प्रतिपादन किया।  महर्षि अरविंद का मानना था कि राष्ट्रवाद एक

दयानंद सरस्वती की जीवनी - विचार ,सिद्धांत ,दर्शन

दयानंद सरस्वती की जीवनी  दयानंद सरस्वती के राजनीतिक विचार दयानंद सरस्वती के दार्शनिक विचार दयानंद सरस्वती के गुरु का नाम  दयानंद सरस्वती बायोग्राफी  दयानंद सरस्वती की पुस्तकें दयानंद सरस्वती-सत्यार्थ प्रकाश दयानंद सरस्वती इन हिंदी  दयानंद सरस्वती का शिक्षा दर्शन  आर्य समाज के संस्थापक  स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म  स्वामी दयानंद सरस्वती का वास्तविक नाम स्वामी दयानंद सरस्वती MPPSC   स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म - जन्म - 1824 - गुजरात बचपन का नाम - मूल शंकर आर्य समाज की स्थापना -1875 स्वामी दयानंद सरस्वती की पुस्तकें - सत्यार्थ प्रकाश पाखंड खंडन  वेद भाष्य भूमिका  ऋग्वेद भाष्य  अद्वैत मत का खंडन  त्रेत वाद का समर्थन  स्वामी दयानंद सरस्वती के सामाजिक विचार- 1. जाति वर्ण संबंधित विचार 2. स्त्री संबंधित विचार 3.धार्मिक आडंबर का खंडन स्वामी दयानंद सरस्वती के दार्शनिक विचार- 1. वैदिक ज्ञान 2. कर्म सिद्धांत 3.पुनर्जन्म सिद्धांत 4.ईश्वर जीव संबंध स्वामी दयानंद सरस्वती के सामाजिक विचार-:-  दयानंद सरस्वती वैदिक युग को ही आदर्श युग मानत

स्वामी विवेकानंद के प्रमुख सामाजिक एवं दार्शनिक विचार mppsc

स्वामी विवेकानंद के प्रमुख सामाजिक एवं दार्शनिक विचार  mppsc,upsc  स्वामी विवेकानंद सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तर  स्वामी विवेकानंद का  जीवन परिचय    जन्म        1863 कोलकाता   उपनाम      दक्षिणेश्वर संत   1893        शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन में भाषण   मूल नाम        नरेंद्रनाथ दत्त   1896-97        रामकृष्ण मिशन की स्थापना वेल्लूर   पत्रिकाएं           प्रबुद्ध भारत अंग्रेजी उद्बोधन बंगाली स्वामी विवेकानंद के प्रमुख सामाजिक  विचार   * सामाजिक विचार:- 1. दरिद्र नारायण (मानव सेवा) 2. शिक्षा को महत्व 3.ब्राह्मणवाद का विरोध 4. श्रमिक कल्याण 5.नारी सशक्तिकरण 6.राष्ट्रवाद का समर्थन स्वामी विवेकानंद के प्रमुख  दार्शनिक विचार  1. वेदांत व हिंदू धर्म की व्यवहारिक व्याख्या 2.गीता के निष्काम कर्म का समर्थन 3. आध्यात्मिक मानववाद ---::::: पूरब और पश्चिम के मिलन के समर्थक:::::--- सामाजिक विचार:-         विवेकानंद का सामाजिक दर्शन अन्य दार्शनिकों की अपेक्षा बहुत अधिक व्यवहारिक था विवेकानंद के दर्शन पर वेदांत दर्शन का अधिक प्रभाव था। अतः व्यक्ति व्य