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एम लक्ष्मीकांत बुक रिव्यू [M. Laxmikant Indian polity book review in hindi]

अगर आप संघ लोक सेवा आयोग(UPSC) या राज्य लोक सेवा आयोग( PSC )या किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं ,और आप राजनीति विज्ञान अर्थात पॉलिटिकल साइंस विषय के लिए सबसे अच्छी पुस्तक (Best book of Political Science for UPSC/PSC/competitive exam in Hindi ), की तलाश में है-  अगर आप इस दुविधा में है कि राजनीति विज्ञान की सबसे  सरल भाषा में और परीक्षा की तैयारी करने हेतु सबसे अच्छी पुस्तक कौन सी है। तो यहां आपको इस प्रश्न का जवाब कुछ निश्चित बिंदुओं के आधार पर मिलेगा जो कि आपके तैयारी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होंगे। Best book of Political Science for UPSC/PSC/competitive exam in Hindi- M. Laxmikant complete review  राजनीति विज्ञान या पॉलिटिकल साइंस की किताब जो कि एम.लक्ष्मीकांत के द्वारा लिखी गई है ,यह पुस्तक अधिकांश सफल विद्यार्थियों की पहली पसंद रही है. संघ लोक सेवा आयोग या विभिन्न राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाओं में चयनित अभ्यर्थियों के  इंटरव्यू जब भी आप सुनेंगे या पड़ेंगे तो आपको एम लक्ष्मीकांत की बुक जोकि पॉलिटिकल साइंस विषय पर लिखी गई है के बारे में अवश्य ही सुनने या

[imp*]सिख धर्म गुरु उनके गुरु काल एवं कार्य की सूची

 सिख धर्म गुरु उनके गुरु काल एवं कार्य की सूची- सिख धर्म के 10 गुरुओं के नाम, उनका समय, उनके क्रमानुसार सूची तथा विभिन्न गुरुओं के प्रमुख कार्यों से संबंधित प्रश्न एवं महत्वपूर्ण जानकारी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर पूछी जाती है, यहां पर सिख धर्म में 10 गुरुओं से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी तथा सिख धर्म से संबंधित अन्य तथ्य आसान भाषा में दिए गए हैं। list of 10 Sikh gurus names in order  सिख धर्म में 10 गुरुओं की क्रमानुसार सूची  1.गुरु नानक देव  इन्होंने ही सिख धर्म की स्थापना की तथा आदि ग्रंथ की रचना भी गुरु नानक देव के द्वारा की गई , इनका कार्यकाल 1469 से 15 39 ईसवी तक रहा। 2.गुरु अंगद  यह सिख धर्म के दूसरे गुरु हुए ,इनका समय 1539 से 1552 ईसवी तक रहा , गुरु अंगद को गुरुमुख लिपि के जनक के रूप में भी जाना जाता है।। 3.गुरु अमर दास यह सिख धर्म के तीसरे गुरु थे इनका कार्यकाल 1552 से 1574 ईसवी तक रहा,  गुरु अमर दास ने सिख धर्म के प्रचार प्रसार हेतु 22 गद्दीयों की स्थापना की थी। 4.गुरु रामदास   यह सिखों के चौथे गुरु थे,इन्होंने ही सन 1577 में अमृतसर नगर की स्थापना की थी तथा इनका गु

राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक संवैधानिक तथा सांविधिक संस्थाएं -MPPSC

  राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक संवैधानिक तथा सांविधिक संस्थाएं  NATIONAL AND REGIONAL CONSTITUTIONAL AND STATUTORY BODIES  ➤भारत निर्वाचन आयोग  ➤राज्य निर्वाचन आयोग ➤संघ लोक सेवाआयोग ➤मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ➤नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ➤नीति आयोग ➤मानवाधिकार आयोग ➤बाल संरक्षण आयोग ➤अनुसूचित जाति एवं  ➤अनुसूचित जनजाति आयोग ➤पिछड़ा वर्ग आयोग ➤सूचना आयोग ➤सतर्कता आयोग ➤राष्ट्रीय हरित अधिकरण ➤खाद्य संरक्षण आयोग।     राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक संवैधानिक तथा सांविधिक संस्थाएं -MPPSC  For detail - click here  

[imp*]भारत में रेल परिवहन सामान्य ज्ञान प्रश्न उत्तर

  General knowledge question answer on Indian railway in Hindi for competitive exams.  भारत में रेल परिवहन सामान्य ज्ञान प्रश्न उत्तर भारतीय रेल परिवहन एवं रेल मुख्यालयों तथा रेलवे से संबंधित सामान्य ज्ञान के प्रश्न उत्तर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर पूछे जाते हैं । यहां पर भारतीय रेल से संबंधित सामान्य ज्ञान के महत्वपूर्ण तथ्य को सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है जो कि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। भारतीय रेल एशिया की सबसे बड़ी तथा विश्व की दूसरी सबसे बड़ी रेल व्यवस्था है भारत में पहली रेल 1853 में मुंबई से थाने के बीच चली थी ,इसमें कुल 34 किलोमीटर की यात्रा तय की थी। भारतीय रेलवे बोर्ड की स्थापना वर्ष 1950 में हुई थी ,तथा रेलवे का राष्ट्रीयकरण वर्ष 1950 में हुआ। भारतीय रेल की पहली विद्युत रेल गाड़ी (इलेक्ट्रिक रेल) 3 फरवरी 1925 को मुंबई और कुर्ला के बीच चली थी। भारत में मेट्रो रेल का शुभारंभ 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के द्वारा कोलकाता मेट्रो रेलवे के रूप में किया गया था। भूमिगत मेट्रो अर्थात अंडर ग्राउंड मेट्रो रेल की सुविधा कोलकाता एवं

उत्तर वैदिक काल के देवता/धार्मिक जीवन

 उत्तर वैदिक काल का धार्मिक जीवन  उत्तर वैदिक काल के देवता,यज्ञ,आडंबर ,कर्मकांडऔर अंधविश्वास उत्तर वैदिक काल की धार्मिक स्थिति उत्तर वैदिककालीन आर्यों की धार्मिक स्थिति में व्यापक परिवर्तन हुए,  इस काल की धार्मिक स्थिति का अध्ययन निम्नांकित शीर्षकों के माध्यम से किया जा सकता है -  * यज्ञ   यज्ञ इस संस्कृति का मूल था। यज्ञ के साथ-साथ अनेकानेक अनुष्ठान व मंत्रविधियाॅ भी प्रचलित हुई।  उपनिषदों में स्पष्टतः यज्ञो तथा कर्मकांडों की निंदा की गई है ,तथा ब्रह्म की एकमात्र सत्ता स्वीकार की गई। यज्ञों में बलि का महत्व बढ़ गया था। यज्ञों में पुरोहितों की संख्या भी बढ़ गई थी। यज्ञ आम जनता की पहुँच से दूर होने लगे थे।  यज्ञ भी विभिन्न प्रकार के होने लगे थे। जैसे -  अश्वमेघ यज्ञ,  राजसूय यज्ञ,  वाजपेय यज्ञ, सौत्रामणि यज्ञ,  पुरुषमेघ यज्ञ। *उत्तर वैदिक काल के देवता - ऋग्वैदिक कालीन देवताओं की इस काल में भी पूजा होती थी, परंतु अब उनकी स्थिति में परिवर्तन आ गया था , ऋग्वैदिक कालीन प्रमुख देवता - इंद्र व वरुण आदि इस काल में प्रमुख नहीं रहे।  उत्तरवैदिक काल में प्रजापति को सर्वोच्च स्थान प्राप्त हो गया

उत्तर वैदिक काल का आर्थिक जीवन- महत्वपूर्ण तथ्य एवं प्रश्न उत्तर

उत्तर वैदिक काल का आर्थिक जीवन   उत्तर वैदिक काल  में कृषि ,पशुपालन ,उद्योग एवं व्यवसाय ,व्यापार एवं वाणिज्य  ऋग्वैदिक काल की अपेक्षा उत्तर वैदिक काल में आर्यों के आर्थिक जीवन में पर्याप्त प्रगति हो गई थी। उत्तर वैदिक कालीन लोगों के आर्थिक जीवन को निम्नांकित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है , * कृषि उत्तर वैदिक काल में आर्यों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। ' शतपथ ब्राह्मण' में कृषि से संबंधित चारों क्रियाओ जुताई बुआई कटाई तथा मड़ाई का उल्लेख किया गया है।   इस ग्रंथ में 'विदेह माधव' की कथा का भी उल्लेख मिलता है, जिससे यह संकेत मिलता है कि आर्य संपूर्ण गंगा घाटी में कृषि करने लगे थे। भूमि जोतने के लिए हल का प्रयोग किया जाता था। भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने और अच्छी फसल उगाने के लिए खाद का भी प्रयोग किया जाता था। जौ, चावल, गेहूं, उड़द, मूंग, तिल, मसूर आदि खाद्यान्न उगाए जाते थे और वर्ष में दो फसलें उत्पन्न की जाती थी।  * पशुपालन  उत्तर वैदिक काल में आर्यों का दूसरा प्रमुख व्यवसाय पशुपालन था।  हल चलाने के लिए 6 व 8 जोड़े बैल जाते जाते थे। दलदली भूमि पर हल चलाने के लिए यह प

उत्तर वैदिक काल का भौगोलिक विस्तार exam question mppsc upsc

उत्तर वैदिक काल का भौगोलिक विस्तार  उत्तर वैदिक काल/ सभ्यता का विस्तार /प्रभाव किन किन क्षेत्रों पर था ? *पंजाब से आर्यजन गंगा यमुना दोआब के अंतर्गत संपूर्ण पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फैल गए थे ,दो प्रमुख कबीले भारत और पुरू एक होकर कुरु नाम से विदित हुए। *आरंभ में वे लोग दोआब के ठीक छोर पर सरस्वती और दृष्टावती नदियों के प्रदेश में बसे शीघ्र ही कुरूओ ने दिल्ली क्षेत्र और दोआब के ऊपरी भाग पर अधिकार कर लिया जो कुरुक्षेत्र नाम से प्रसिद्ध हुआ।  *हस्तिनापुर को अपनी राजधानी बनाया जो मेरठ जिले में पड़ता है।प्राचीन कथाओं के अनुसार जानते हैं कि हस्तिनापुर बाढ़ में बह गया और कुरू वंश से जो जीवित रहे वे इलाहाबाद के पास कौशांबी जाकर बस गए।  *उत्तर वैदिक काल का अंत होते-होते 600 ईसा पूर्व के आसपास वैदिक लोग दोआब से पूरब की ओर पूर्वी उत्तर प्रदेश के कोशल और उत्तरी बिहार के विदेह में फैले।  अंततः इस काल की सभ्यता का केंद्र पंजाब से बढ़कर कुरुक्षेत्र तक आ गया था , 600 ईसा पूर्व के आसपास आर्य लोग कोशल विदेह एवं अंग राज्य से परिचित थे , शतपथ ब्राह्मण में उत्तर वैदिक कालीन रेवा और सदानीरा नदियों का उल्लेख